
कोरोना काल की त्रासदी के बीच बेबसी और लाचारगी की अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रही हैं. लॉकडाउन की वापसी और सख्त कोरोना प्रोटोकॉल की मार, कई लोगों के लिए बेहम मुश्किलें पैदा कर रहा है. इसी प्रशासनिक सख्ती का शिकार मध्य प्रदेश के सागर सागर जिले के मकरोनिया इलाके में रहने वाला एक परिवार हुआ है.
बढ़ते कोरोना संकट के बीच मकरोनिया में भी कड़े कोरोना प्रतिबंध लागू हैं. दुकानें बंद हैं. एक परिवार की मुश्किल ये है कि उसकी दुकान ही घर में है. नीचे दुकान है, दूसरी मंजिल पर ऊपर परिवार रहता है. दुकान और घर का निकास एक ही शटर से है. शटर के अंदर एक कमरा है, जिसमें अब एंट्री ही नहीं है.
दरअसल 19 मई को निरीक्षण करते वक्त स्थानीय प्रशासन को शटर आधी खुली दिखी. कुछ ग्राहक भी अंदर नजर आए. प्रशासन ने इसे कोरोना कर्फ्यू का उल्लंघन मानते हुए दुकान और इकलौते निकास को भी सील कर दिया. शटर बंद होने की वजह से परिवार के पास बाहर निकलने की कोई राह नहीं रह गई है, जिससे वहां लोग रोजमर्रा की भी जरूरतें नहीं पूरी कर पा रहे हैं. एक ही शटर होने की वजह से वहीं से लोग बाहर जाते थे, लेकिन अब उसे ही सील कर दिया है.
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जान जोखिम में डालने को मजबूर परिवार
मकान के मालिक राजीव जैन का कहना है कि उनका बेटा जान जोखिम में डालकर, खिड़की से रस्सियों के सहारे रोजमर्रा की चीजें लेने नीचे जाता है.
राजीव जैन ने आजतक से कहा, 'शटर एक ही होने की वजह से हम यहीं से आते जाते हैं. राजीव के परिवार में कुल 5 सदस्य हैं. दूध, सब्जी जैसी रोजमर्रा की सामग्री खरीदने बेटा राजा घर के पीछे वाले हिस्से की खिड़की से झूला के सहारे जान जोखिम में डालकर चढ़ता और उतरता है.' वहीं प्रशासन का इस मामले पर कहना है कि अगर मकान और दुकान का एक ही रास्ता है तो मामले को दिखवाया जायेगा.
(सागर से शिव पुरोहित की रिपोर्ट)
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