मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों कोरोना पीड़ित मरीजों को निःशुल्क सेवा देने वाले जावेद पर शनिवार को पुलिस कार्रवाई की गाज गिरी. पुलिस चेकिंग के दौरान धारा 144 का उल्लंघन करने पर जावेद के खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की गई लेकिन बाद में विवाद बढ़ता देख प्रकरण खारिज कर दिया गया.
दरअसल, भोपाल में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए 7 मई तक कोरोना कर्फ्यू लागू है. इस दौरान आपातकालीन वाहनों को आसानी से बिना रुके गुजरने के लिए जगह जगह बैरिकेडिंग है ताकि सामान्य यातायात वहां से नहीं निकले. शनिवार दोपहर भानपुर चौराहे पर छोला थाना पुलिस द्वारा गैरजरूरी काम से बाहर घूम रहे लोगों के खिलाफ चेकिंग चल रही थी. जब जावेद यहां अपने ऑटो के साथ पहुंचा तो पुलिस ने उससे बाहर निकलने की वजह पूछी.
जावेद ने बताया कि वह ऑटो एम्बुलेंस चलाता है और लोगों को अस्पताल छोड़ता है. पुलिस ने जब देखा कि जावेद के ऑटो में कोई आपातकालीन सेवा पास नहीं है तो उसके खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन के तहत 188 का केस लगाकर छोड़ दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा करनी शुरू कर दी.
हालांकि शाम को भोपाल पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि जावेद पर धारा 188 के तहत जो केस लगाया गया था उसे खारिज कर दिया गया है. भोपाल पुलिस ने बताया कि छोला मंदिर पुलिस द्वारा भानपुर चौराहे पर बैरिकेड लगाकर अनावश्यक घूमने वाले वाहनों को चेक किया जा रहा था.
इस दौरान एक खाली ऑटो चालक जावेद (34) बैरिकेड हटाने लगा, जिसके द्वारा कोई कारण नहीं बताने पर पुलिस ने 188 की कार्यवाही कर तत्काल नोटिस देकर ऑटो चालक को छोड़ दिया. प्रकरण में जावेद की ना तो गिरफ्तारी की गई और ना ही ऑटो व ऑटो में रखे ऑक्सीजन सिलिंडर को जब्त किया गया. ऑटो चालक जावेद को सेवा कार्य के लिए विशेष पास जारी किया जा रहा है, जिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो'.
दरअसल, जावेद ने अपने ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर उसे ऑटो एंबुलेंस का रूप दिया है ताकि कोरोना से पीड़ित मरीजों को अस्पताल मिलने तक वह ऑटो में ही उसे ऑक्सीजन देते रहें. जावेद इन दिनों कोरोना मरीजों को निशुल्क सेवा दे रहे हैं.