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एमपी: फ्रंटलाइन वर्कर्स पर हावी होता कोरोना, 24 घंटे में 6 डॉक्टरों ने गंवाई जान

कोरोना की दूसरी लहर का असर डॉक्टरों पर भी नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश में बीते 24 घंटों के दौरान 6 डॉक्टरों की मौत हुई है. इनमें भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और होशंगाबाद के डॉक्टर शामिल हैं. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • डॉक्टरों पर हावी होता कोरोना
  • 24 घंटे में 6 डॉक्टरों ने गंवाई जान
  • कोरोना की दूसरी लहर रही ज्यादा घातक

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच फ्रंटलाइन वर्कस ने लगातार सक्रिय भूमिका निभाते हुए लोगों की जान बचाई है. डॉक्टरों ने भी अपने परिवारों को छोड़ दूसरों को बचाने पर जोर दिया है. ऐसे में कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा भी उन्हीं पर रहा है. अब दूसरी लहर के दौरान इसका असर दिखने लगा है. मध्य प्रदेश में बीते 24 घंटों के दौरान 6 डॉक्टरों की मौत हुई है. इनमें भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और होशंगाबाद के डॉक्टर शामिल हैं. 

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डॉक्टर गुरदीप सिंह

भोपाल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुरदीप सिंह की कोरोना से मौत हो गई. डॉ गुरदीप ने गांधी मेडिकल कॉलेज से 1982- 83 में MBBS और 1986 में MS नेत्र रोग पास करके लेक्चरर और रीडर के पद पर कार्य किया. 1997 में सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर अपनी निजी प्रैक्टिस प्रारम्भ की और एक सफल नेत्र चिकित्सक का दर्जा हासिल किया. सहज, सरल, सभी की मदद करने वाला नेत्र चिकित्सक अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए कोरोना का शिकार हो गया और आज अपने जीवन को अलविदा कहकर चला गया. डॉ. गुरदीप सिंह ने भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज से  MBBS और ऑप्थलमलॉजी में MS किया. वो प्रदेश के पहले नेत्र सर्जन थे जिन्होंने 1986 में मोतियाबिंद मरीज़ों में इंट्रोक्युलर लेंस लगाना शुरू किया था. 

डॉक्टर उदय सिंह

भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती डॉक्टर उदय सिंह ने भी दम तोड़ दिया. 23 अप्रैल को उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया था. डॉ. सिंह जवाहर लाल नेहरू गैस राहत अस्पताल में डेंटल सर्जन के पद पर कार्यरत थे. उन्हे संगीत से बेहद प्रेम था. 

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डॉक्टर शैलेंद्र सोनकिया

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरी होशंगाबाद में मेडिकल ऑफिसर शैलेंद्र सोनकिया का भी 18 मई को कोरोना से निधन हो गया. वे लगातार एक साल से कोरोना मरीज़ों की देखरेख में लगे हुए थे और इसी दौरान हाल ही में कोरोना से संक्रमित भी हो गए और फिर इस दुनिया को छोड़ हमेशा के लिए चले गए.

डॉ अपेक्षा भाले

18 मई को डॉक्टर अपेक्षा भाले की भी कोरोना से मौत हो गई. वे 6 मई को कोरोना पॉसिटिव पाई गई थीं. उसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था लेकिन उनकी सेहत में सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टर अपेक्षा भाले 55 साल की थीं और किडनी और कैंसर की बीमारी से पीड़ित थीं. उन्होने वैक्सीन का एक डोज़ फरवरी में तो ले लिया था लेकिन बीमारी के चलते दूसरा डोज नहीं ले पाई थीं.  

डॉ देवेंद्र सिंघार

ग्वालियर के डॉक्टर देवेंद्र सिंघार भी 6 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे. 40 साल के कैजुअल्टी ऑफिसर डॉक्टर देवेंद्र जयारोग्य अस्पताल में ही कार्यरत थे. डॉ देवेंद्र ने वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लिया था. डॉ देवेंद्र धार के रहने वाले थे. उन्होंने MBBS की पढ़ाई ग्वालियर मेडिकल कॉलेज से ही की थी. डॉ देवेंद्र की अभी शादी नहीं हुई थी.

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डॉक्टर के.के कंवल

उज्जैन के वरिष्ठ सर्जन 78 साल के डॉ. के.के कंवल का इंदौर में कोरोना के इलाज के दौरान निधन हो गया. वो 29 अप्रैल को पॉजिटिव पाए गए थे जिसके बाद उनका इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. उन्होने वैक्सीन लगवाई थी या नहीं ये अभी पता नहीं चल पाया है.
 

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