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नए साल में कमलनाथ-दिग्विजय की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, हवाला मामले की जांच EOW के हवाले

इस जांच के दायरे में पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, कई पुलिस अधिकारी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई विश्वासपात्र आ सकते हैं. सिंधिया के ये विश्वासपात्र अभी शिवराज सरकार में मंत्री हैं.

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कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह (फोटो- पीटीआई)
कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कमलनाथ के नजदीकियों पर पड़ा था छापा
  • राज्य सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जांच
  • लिस्ट में शिवराज सरकार के कई मंत्रियों के नाम

नए साल में कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है. मध्य प्रदेश सरकार ने आयकर विभाग द्वारा कथित हवाला रैकेट की जांच को अब आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया है. इस कथित रैकेट का पर्दाफाश वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के सीएम रहते हुआ था. 

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इस जांच के दायरे में पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, कई पुलिस अधिकारी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई विश्वासपात्र आ सकते हैं. सिंधिया के ये विश्वासपात्र अभी शिवराज सरकार में मंत्री हैं. 

राज्य सरकार का ये कदम तब आया है जब 4 जनवरी को चुनाव आयोग, एमपी के मुख्य सचिव और गृह सचिव की मीटिंग है. चुनाव आयोग ने राज्य के इन दो अफसरों को समन भेजकर कहा है कि वे बताए कि इस मामले में जांच कहां तक पहुंची है.  

बता दें कि चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को कहा है कि वो इस मामले की जांच एक सक्षम संस्था से करवाए. चुनाव आयोग को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस मामले की रिपोर्ट सौंपी थी. बता दें कि 2020 की शुरुआत में आयकर विभाग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नजदीकियों के ठिकाने पर छापेमारी की थी. 

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चुनाव आयोग द्वारा राज्य सरकार को दी गई रिपोर्ट में तीन सीनियर आईपीएस अधिकारी, एक राज्य पुलिस के अधिकारी, कमलनाथ के कई नजदीकी, कुछ विधायक, कई पूर्व और वर्तमान मंत्रियों के नाम शामिल हैं. 

राज्य सरकार की आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले में अभी प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की है. इस मामले में अतिरिक्त जांच के बाद ही FIR दर्ज की जाएगी. 

चुनाव आयोग ने इसी रिपोर्ट को गृह मंत्रालय को भी भेजा है, इस रिपोर्ट में जिन तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम हैं उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने को कहा गया है. 

इस मामले में गृह मंत्रालय भी 4 जनवरी को दिशा-निर्देश जारी कर सकता है. बीजेपी के लिए चुनौती ये है कि रिपोर्ट में कई ऐसे मंत्रियों के नाम शामिल हैं जो पहले कांग्रेस में थे लेकिन अब बीजेपी में आ गए हैं. देखना होगा कि इनके खिलाफ कार्रवाई राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है.

 

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