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मध्य प्रदेश में अब गौमूत्र से बने फिनायल से साफ होंगे सरकारी दफ्तर

इसके लिए सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए हैं. आदेश में पंचायत से लेकर मंत्रालय स्तर तक के दफ्तरों में गौमूत्र से बने फिनायल के इस्तेमाल के निर्देश दिए गए हैं.

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'गौनाईल' से साफ होंगे दफ्तर (फोटो- इंडिया टुडे)
'गौनाईल' से साफ होंगे दफ्तर (फोटो- इंडिया टुडे)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए हैं
  • आत्मनिर्भर MP बनाने के मकसद से लिया फैसला

गौ माता और गौ सेवा को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मध्य प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में गौमूत्र से बने फिनायल का इस्तेमाल करने का सरकारी फरमान जारी किया है.

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सूबे की सियासत में हमेशा से सुर्खियों में रहने वाली गौ माता एक बार फिर सत्ताधारी बीजेपी को याद आ रही हैं. देश की पहली गौ कैबिनेट बनाने के बाद अब गौमूत्र के फिनायल से सभी सरकारी दफ्तरों के शुद्धिकरण के लिए सरकारी मोहर भी लगा दी गई है.

अब से मध्य प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों को आम फिनायल की जगह गौमूत्र से बने फिनायल से साफ किया जाएगा. इसके लिए सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए हैं. आदेश में पंचायत से लेकर मंत्रालय स्तर तक के दफ्तरों में गौमूत्र से बने फिनायल के इस्तेमाल के निर्देश दिए गए हैं.

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शिवराज सरकार में मंत्री इंदर सिंह परमार ने अपने ही घर से गौमूत्र से बने 'गौनाईल' का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है. आजतक से बात करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि सरकार की मंशा है कि इसके जरिए गायों की रक्षा होगी और उनसे मिलने वाले उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा. इसलिए यह फैसला आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनाने के मकसद से लिया गया है.

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इससे पहले कमलनाथ सरकार ने भी मध्य प्रदेश में करीब एक हजार गौशालाएं बनाने का ऐलान कर खुद को गौ सेवक साबित करने की कोशिश की थी. लेकिन अब विपक्ष में आते ही कांग्रेस गौमूत्र के फिनायल के सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल को बीजेपी का एजेंडा बता रही है. कांग्रेस नेता पीसी शर्मा का आरोप है कि सरकार गौ फिनायल के जरिए कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है. 

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