जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव की उपस्थिति वाले एक सामूहिक विवाह समारोह में बाल विवाह कराये गये.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि यह आयोजन समाजवादी पार्टी की क्षेत्रीय विधायक मीरा यादव ने किया था. इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि उनके प्रभाव के कारण याचिकाकर्ता की शिकायत पर जिला एवं पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नही की.
याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के के लाहोटी एवं न्यायाधीश एम ए सिद्दीकी की पीठ ने सरकारी अधिवक्ता को निर्देश दिया कि इस संबंध में सरकार से दिशा निर्देश प्राप्त कर चार सप्ताह में जबाव पेश किया जाये.
टीकमगढ निवासी गयादीन अहिरवार की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि ग्राम निवारी में सामजवादी पार्टी की क्षेत्रीय विधायक मीरा यादव ने सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन गत 9 मार्च को कराया था. सम्मेलन में 136 जोडो का विवाह कराया गया था जिसमें से लगभग 25 जोडे नाबालिग थे. इस संबंध में उसने आयोजकों के समक्ष आपत्ति दर्ज करायी थी जिस पर आयोजकों ने कोई ध्यान नही दिया.
शिकायतकर्ता ने याचिका में कहा कि जब वह इस बारे में संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराने गया तो थाना प्रभारी ने शिकायत दर्ज करने एवं बाल विवाह रोकने की बजाय उसे ही भगा दिया. इसके बाद उसने दस्तावेजों के साथ लिखित शिकायत स्पीड पोस्ट के माध्यम से उसी दिन जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधिक्षक से की थी. याचिका में कहा गया कि क्षेत्रीय विधायक मीरा यादव के पति दीप नारायण यादव भी झांसी के सपा विधायक है. उनका क्षेत्र में रसूख है इसलिए उसकी शिकायत पर जिला एवं पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नही की.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव भी मौजूद थी. बाल विवाह निरोधक अधिनियम के तहत नाबालिगों का विवाह कराना एवं विवाह में शामिल होना अपराध की श्रेणी में आता है. याचिका में मांग की गयी है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं सांसद डिम्पल यादव, विधायक दीप नारायण एवं विधायक मीरा यादव के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाये.
याचिका के साथ इन सभी के कार्यक्रम में उपस्थित होने तथा विवाहित 10 जोडो के नाबालिग होने के दस्तावेज भी प्रस्तुत किये गये है. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने सरकारी वकील को निर्देश जारी किये.