केरावत पर आरोप था कि उन्होंने एक निजी एनजीओ को सावरकर की फोटो लगी नोटबुक स्कूल में बांटने की इजाज़त दी थी. स्टे देते समय, हाइकोर्ट के जज एससी शर्मा ने कहा कि 'यह सच है कि यह आदेश एक अपील योग्य आदेश है, लेकिन तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता को केवल इसलिए निलंबित कर दिया गया है कि नोट बुक में एक स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीरें थीं, जिसे स्कूल में एक एनजीओ द्वारा वितरित किया गया था.'
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जज एससी शर्मा ने स्टे देते हुए आगे कहा कि 'प्रथम दृष्टया, ये आदेश कानूनन ठीक नहीं है. अगर एक स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीरों वाली नोटबुक वितरित की गई है, तो यह कदाचार नहीं है. इसके परिणामस्वरूप, 13/1/2020 को दिए गए आदेश का संचालन रोक दिया गया है. याचिकाकर्ता को प्रिंसिपल के रूप में काम जारी रखने की अनुमति दी जाएगी, क्योंकि इस अदालत ने निलंबन के आदेश पर स्टे दे दिया है.' अब अदालत ने इस मामले को 30 मार्च, 2020 को सूचीबद्ध किया है.
क्या है मामला?
पिछले साल नवम्बर में रतलाम जिले के मलवासा शासकीय स्कूल में एक एनजीओ द्वारा छात्रों के बीच सावरकर के तस्वीर वाली किताब बांटी गई थी लेकिन इसकी शिकायत जब स्थानीय प्रशासन के पास पहुंची तो इसकी जांच की गई. जांच में पाया गया कि एक एनजीओ ने ये किताब स्कूल में बांटी थी. जांच के बाद स्कूल प्रिंसिपल आरएन केरावत को संभागायुक्त ने निलंबित कर दिया था. हाई कोर्ट ने निलंबन के आदेश पर अब स्टे लगा दिया है.