आज से कुछ 18 साल पहले मध्य प्रदेश में एक दक्षिणपंथी कार्यकर्ता ने एक कैथलिक नन की चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी. हत्या के मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा मिली, जबकि नन के परिवार वालों ने सभी के सामने हत्यारे को माफ कर दिया था. हत्या, क्षमा और संवेदनाओं की यह कहानी आज डॉक्यूमेंट्री 'हर्ट ऑफ ए मर्डरर' के माध्यम से दिलों को जीतने का काम कर रही है.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई-इटालियन फिल्म निर्माता कैथरीन मैकगिल्वरी की इस फिल्म को लॉस एंजिल्स में वर्ल्ड इंटरफेथ हारमोनी फेस्टिवल में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर डॉक्यूमेंट्री का अवार्ड दिया गया.
फिल्म का अगला पड़ाव इटली में एक अन्य फेस्टिवल है, जबकि कैथरीन रोम में फिल्म की स्क्रीनिंग की तैयारी में जुटी हैं. अब तक हिंदी, स्पेनिश, इटालियन, फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा में फिल्म की डीवीडी लॉन्च हो चुकी है. कैथरीन की यह फिल्म रोम में एशियाटिका फिल्म मीडियल में भी हिस्सा ले चुकी है. साथ ही जकार्ता में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी इसे सम्मानित किया जा चुका है. कैथरीन चाहती हैं कि उनकी फिल्म इटली के जेल और स्कूलों में दिखाई जाए.
यूं बंधी रिश्तों की डोर
फिल्म की कहानी समुंदर सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसने 1995 में सिस्टर रानी मारिया की उस समय चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी जब वह इंदौर से उदयनगर की बस यात्रा कर रही थीं. समुंदर ने 22 साल की मारिया पर 50 से अधिक बार प्रहार किया था.
मामले में समुंदर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि 2006 में अच्छे व्यवहार के कारण उसे जेल से रिहा कर दिया गया था. इस बीच, मारिया के परिवार वालों ने भी सिंह को माफी दे दी थी. वहीं, मारिया की छोटी बहन सैल्मी 2002 में सिंह को राखी बांधने जेल गई थी. राखी का यह धागा कच्चा जरूर था, लेकिन तब से ही सिंह और मारिया के परिवार के बीच एक रिश्ता कायम हो गया.
'मैं बहक गया था, लेकिन फिर पछतावा हुआ'
इंदौर में एक किसान के रूप में गुजर-बसर कर रहे समुंदर सिंह कहते हैं, 'मुझे कुछ लोगों द्वारा भड़काया गया था, मैंने बहकावे में आकर घटना को अंजाम दिया था.' सिंह कहते हैं कि बाद में उन्हें बहुत पछतावा हुआ था और जेल में सैल्मी के व्यवहार ने उन्हें पूरी तरह बदल कर रख दिया था.
फिल्म निर्माता कैथरीन कहती हैं, 'जब मुझे केरल के एक कैथलीक ने पहली बार यह कहानी सुनाई तो मुझे क्षमा और सहानुभूति के पुट ने खूब आकर्षित किया. मुझे लगा कि इस पर फिल्म बननी चाहिए और अधिक से अधिक लोगों तक इस कहानी को पहुंचाया जाना चाहिए.' फिल्म को उदयनगर और पुल्लुवाझी में 2010 से 2013 के बीच फिल्माया गया.
फिल्म की शुरुआत केरल में ट्रेन के सफर से होती है, जिसमें सिंह और मारिया की मां एक दूसरे से मिलते हैं. 2006 में जेल से छूटने के बाद दोनों की यह दूसरी मुलाकात होती है. खास बात यह है कि इस मुलाकात के लिए कोई स्क्रिप्ट नहीं लिखी गई. कैथरीन कहती हैं सिंह और मारिया की मां दोनों के लिए यह बड़ा ही अलग अनुभव था. हालांकि आपसी बातचीत के दौरान मारिया और हत्या की बात करने में दोनों को काफी समय लगा, लेकिन सब अच्छा रहा.