मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत और सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आ गई थी. कमलनाथ सरकार की विदाई के बाद सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने पिछली सरकार के फैसलों की समीक्षा करने का ऐलान किया था. कमलनाथ सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए शिवराज सरकार ने एक कमेटी भी बना दी है.
अब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सिंधिया को लेकर हमलावर हो गई है. माकपा ने मांग की है कि सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी को कमलनाथ सरकार के समय सस्ते में भूमि आवंटन की भी समीक्षा हो और इसे निरस्त किया जाए. माकपा मध्य प्रदेश के सचिव जसविंदर सिंह ने रविवार को बयान जारी कर आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार के समय सिंधिया की सोसाइटी को महज 100 रुपये की टोकन राशि पर 146 एकड़ जमीन 99 साल के लिए लीज पर दे दी थी. इसे निरस्त किया जाना चाहिए.
माकपा नेता ने कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने और शिवराज सरकार के गठन के अगले ही दिन राजस्व न्यायालय में सिंधिया के खिलाफ चल रहे मुकदमों को वापस ले लिया गया. उसी समय से यह आम धारणा बन गई है कि शिवराज सरकार सौदेबाजी कर सत्ता में आई सरकार है. अब भाजपा सरकार यदि कमलनाथ सरकार के अन्य फैसलो की समीक्षा कर पलटती है और इस निर्णय को जस का तस रहने देती है तो यह धारणा और मजबूत हो जाएगी. लोगों को लगेगा कि शिवराज सत्ता में बने रहने के लिए सौदेबाजी का ही सहारा ले रहे हैं.
माकपा नेता के मुताबिक सिंधिया के ट्रस्ट को आवंटित जमीन की कीमत करीब 212 करोड़ आंकी गई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की आलोचना करते हुए माकपा के प्रदेश सचिव ने कहा कि वे अपनी संपत्ति बचाने और जमीन कब्जाने के लिए सरकारों से सौदेबाजी करते हैं. सिंधिया का सिद्धांतों से कोई वास्ता नहीं है.