मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस नेता ज्योतिर्रादित्य सिंधिया के बीच जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. शनिवार को कमलनाथ ने सिंधिया को चुनौती के लहजे में कहा था कि वो 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस घोषणापत्र में किए गए वादों के पूरा नहीं होने के मुद्दे पर सड़कों पर उतर सकते हैं. पलटवार में सिंधिया ने एक बार फिर विरोध प्रदर्शन के अपने इरादे को दोहराया है.
सिंधिया ने रविवार को ग्वालियर में मीडिया से कहा, “मैं जानता हूं आप मुझसे सवाल करेंगे लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं जनसेवक हूं और हमने राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में कुछ वादे किए थे. एक साल से ज़्यादा हो चुका है और अगर वो वादे पूरे नहीं हुए हैं तो हमें प्रदर्शन करना होगा.”
हालांकि सिंधिया ने ये बताने से इनकार किया कि वो कब और कैसे प्रदर्शन करेंगे?
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में सिंधिया को प्रदर्शन की चुनौती दी थी. कमलनाथ से सिंधिया के बयान के बारे में पूछा गया था. पिछले कुछ महीनों से सिंधिया किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस ने सत्ता में आते ही दस दिन में इसे लागू करने का वादा किया था.
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पहले चरण में 25 लाख किसान उठा चुके हैं लाभ
कमलनाथ सरकार के मुताबिक पहले चरण में 25 लाख किसान अब तक कर्ज माफी की इस योजना का लाभ उठा चुके हैं. कमलनाथ सरकार के पदभार संभालते ही कुछ घंटे में कर्ज माफी की प्रक्रिया शुरू हो गई थी लेकिन योजना को इस तरह बनाया गया है जिससे लाभार्थियों में भ्रम की स्थिति है. इससे किसानों में सरकार के लिए सद्भावना की जगह नाराजगी बढ़ रही है.
राज्य सरकार का दावा है कि योजना के दूसरे चरण पर भी काम शुरू हो गया है बचे हुए किसानों को भी लाभ पहुंचाया जाएगा.
बचाव में उतरे मंत्री
GAD मंत्री गोविंद सिंह ने अपनी सरकार का बचाव किया लेकिन साथ ही माना कि राज्य को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. गोविंद सिंह ने कहा, “हमने 25 लाख किसानों के कर्ज को माफ कर दिया है. दूसरा चरण शुरू हो गया है. अभी हमें सत्ता में आए एक साल ही हुआ है. पांचवें साल के आखिर तक घोषणापत्र के सभी वादों को पूरा कर दिया जाएगा.”
गोविंद सिंह ने कहा, “अधिकतर कल्याण योजनाओं पर वित्तीय दबाव की वजह से प्रतिकूल असर पड़ा है. कर्ज माफी के अलावा ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’ और ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ भी प्रभावित हुई हैं.” ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’ के तहत वित्तीय मदद 25,000 रुपए से बढ़ाकर 51,000 रुपए कर दी गई है. लेकिन अधिकतर लाभार्थियों को अभी कोई रकम नहीं मिली है.
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना रुकी
सरकार ने वित्तीय दबाव की वजह से ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ को भी रोक दिया है. लेकिन जब सरकार से रविवार को इस बारे में पूछा गया तो उसने स्कूल परीक्षाओं का विचित्र हवाला दिया. कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, “हमने तीर्थ दर्शन योजना को छोड़ा नहीं है, इसे स्कूल परीक्षाओं की वजह से स्थगित किया गया है. योजना के नए प्रारूप की शीघ्र घोषणा की जाएगी.”
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दरअसल बीते सप्ताह टीकमगढ़ में एक सभा के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि अतिथि शिक्षकों से जो वचन कांग्रेस ने चुनाव के समय किया था वो हमारे लिए ग्रंथ है और उसे पूरा करेंगे. अतिथि शिक्षकों को मैं कहना चाहता हूं कि आपकी मांग मैंने चुनाव के पहले भी सुनी थी. मैंने आपकी आवाज उठाई थी और ये विश्वास मैं आपको दिलाना चाहता हूं कि आपकी मांग जो हमारी सरकार के घोषणापत्र में अंकित है, वो घोषणापत्र हमारे लिए ग्रंथ है.
'ज्योतिरादित्य बनेंगे ढाल'
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों को सब्र रखने की सलाह देते हुए कहा था कि अगर उस घोषणापत्र का एक-एक अंश पूरा न हुआ तो अपने को सड़क पर अकेले मत समझना. आपके साथ सड़क पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उतरेगा. सरकार अभी बनी है, एक साल हुआ है. थोड़ा सब्र हमारे शिक्षकों को रखना होगा. बारी हमारी आएगी, ये विश्वास, मैं आपको दिलाता हूं और अगर बारी न आये तो चिंता मत करो, आपकी ढाल भी मैं बनूंगा और आपकी तलवार भी मैं बनूंगा.' सिंधिया के इस बयान पर जब शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से प्रतिक्रिया लेनी चाही थी तो कमलनाथ ने दो टूक कहा था 'तो वो उतर जाएं.'