मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में घोड़ों और मवेशियों के खाने लायक चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए लोगों में बांटे जाने का मामला सामने आया है. जिसके बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे आपराधिक कृत्य करार दिया है.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा है, 'मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिस चावल का वितरण किया गया वो मनुष्य के खाने के योग्य नहीं था, यह केंद्र सरकार की जांच के उपरांत लिखे एक पत्र के माध्यम से सामने आया है. यह इंसानियत और मानवता को तार-तार करने वाला एक आपराधिक कृत्य भी है.'
मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिस चावल का वितरण किया गया वो मनुष्य के खाने के योग्य नहीं था , यह केन्द्र सरकार के जाँच के उपरांत लिखे एक पत्र के माध्यम से सामने आया है।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 2, 2020
यह इंसानियत व मानवता को तार- तार करने वाला होकर एक आपराधिक कृत्य भी है।
दरअसल, भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक प्रभाग ने चिट्ठी लिखी है. मंत्रालय के खाद्य और जन वितरण विभाग के स्टोरेज एंड रिसर्च डिवीजन ने मध्य प्रदेश सरकार को भेजी गई चिट्ठी में कहा है कि बालाघाट और मंडला जिलो में चार गोदामों और एक फेयर प्राइस शॉप से चावल के 32 नमूने लिए. इनकी जांच NABL से मान्यता प्राप्त सेंट्रल ग्रेन्स एनालिसिस लैबोरेट्री में हुई.
इंसानों के खाने के लिए सही नहीं
चिट्ठी में कहा गया कि मध्य प्रदेश के दो आदिवासी जिलों से लिए गए चावल के नमूनों की जांच से सामने आया कि ये इंसानों के खाने के लिए सही नहीं हैं और 1-a कैटेगरी में आते हैं यानी ये अनाज सिर्फ मवेशियों के खाने के लिए ही फिट है. ये अस्वीकृति सीमा से बाहर और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पीएफए मानकों के मुताबिक भी नहीं थे. यह फीड 1 की श्रेणी में आते हैं जो कि बकरी, घोड़े और भेड़ जैसे पशुधन के लिए ही उपयुक्त है.