मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान राज्य के किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा छाया रहा. सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने जहां इसे कमलनाथ सरकार की उपलब्धि के तौर पर गिनाया वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसे खानापूर्ति बताया था. कर्जमाफी को लेकर हालात ये थे कि कांग्रेस कार्यकर्ता और प्रवक्ता बकायदा कर्जमाफी का फायदा ले चुके किसानों की सूची लेकर शिवराज के घर तक पहुंच गए थे. अह चुनाव खत्म होने के बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर कर्जमाफी का मुद्दा गर्मा गया है.
लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती से ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्ज माफी पर शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी है. सीएम कमलनाथ ने अपनी चिट्ठी में शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी पर कर्जमाफी की सच्चाई छिपाकर राजनीति करने का आरोप लगाया है.
सीएम कमलनाथ ने पत्र में लिखा 'हमने 21 लाख किसानों का कर्ज माफ किया लेकिन चुनावों के कारण आप (शिवराज सिंह) सच्चाई अस्वीकार करते रहे और अब जब चुनाव समाप्त हो चुके हैं ऐसे में आपको और बीजेपी को कर्ज माफी की सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए.
कमलनाथ ने शिवराज से कहा, 'जो काम बीजेपी की सरकार सालों में नहीं कर पाई वो काम कांग्रेस की सरकार ने 3 महीने में कर दिया है'. हमने 22 फरवरी 2019 से किसानों को कर्जमाफी के प्रमाण पत्र बांटने शुरू किए और 10 मार्च को आचार संहिता लगने तक करीब 21 लाख किसानों की कर्जमाफी कर दी थी'
कमलनाथ ने पत्र में आगे लिखा, 'आचार संहिता के बीच में भी चुनाव आयोग से इजाजत लेकर सरकार ने जहां-जहां चुनाव हो चुके हैं वहां करीब 4 लाख 80 हजार किसानों की कर्जमाफी की प्रक्रिया को शुरू किया. चिट्ठी के आखिर में कमलनाथ ने लिखा है कि 'आचार संहिता के बाद हमारी सरकार कर्ज माफी फिर से शुरू करेगी और उम्मीद है कि आपका सहयोग और शुभकामनाएं मिलेंगी.