मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर गर्माहट नजर आने लगी है. बीजेपी को सत्ता में रहते 15 वर्ष हो गए हैं और वह आगे यह सिलसिला जारी रखना चाहती है, जबकि कांग्रेस की कोशिश सत्ता में वापसी की है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के महासचिव और सांसद कमलनाथ को पार्टी एमपी का अध्यक्ष बनाकर प्रदेश की कमान उनके हाथ में दे सकती है. बता दें कि कमलनाथ के पास इस समय हरियाणा और पंजाब का प्रभार है.
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस की तरफ से शनिवार देर शाम मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ नेता कमलनाथ के नाम की घोषणा हो सकती है. बावजूद इसके प्रदेश में कांग्रेस फिलहाल चुनावी चौसर पर नजर नहीं आ रही है.
CM के रूप में ज्योतिरादित्य के नाम पर कमलनाथ ने जताई थी सहमति
प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही चाहे जितना नजदीक होने की बात करें, मगर हकीकत किसी से छुपी नहीं है. इस बीच खबर यह भी है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया जा सकता है. बता दें कि हाल ही में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और नौवीं बार छिंदवाड़ा के सांसद कमलनाथ ने कहा था कि एमपी में अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम फेस के रूप में आगे किया जाता है तो वह इसका स्वागत करेंगे.
विवेक तन्खा को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
वहीं, वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को भी पार्टी में को-ऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी मिल सकती है. कांग्रेस अभी न तो मुख्यमंत्री के तौर पर किसी चेहरे का फैसला कर सकी है और न ही चुनाव प्रबंध समिति के बारे में कोई निर्णय कर पाई है. एक तरफ सिंधिया और दूसरी ओर प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जरूर ताबड़तोड़ दौरे और सभाएं कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि बाकी चुनावों की तरह पार्टी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के लिए किसी का नाम प्रोजेक्ट नहीं करेगी. पिछले चार विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में जीत से कांग्रेस उत्साहित जरूर है, मगर कार्यकर्ताओं को इस बात का इंतजार है कि हाईकमान स्थिति कब स्पष्ट करता है.
कांग्रेस का बीजेपी पर हमला
उधर, भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के पदभार संभालते ही कांग्रेस ने हमला बोल दिया. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि भाजपा ने समझौते के तहत राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान दी है. अभी वे प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए हलके हैं.
आसान नहीं बीजेपी की राह
इधर, बीजेपी ने लगातार चौथी बार जीत हासिल करने के लिए सियासी बिसात पर शुरुआती चालें चलकर अपने अनुरूप माहौल बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं. यह इसलिए भी है क्योंकि राज्य में इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए उतना आसान नहीं माना जा रहा है, जितने पिछले तीन विधानसभा चुनाव थे. इसकी वजह किसान गोलीकांड सहित विभिन्न घटनाओं से पार्टी के खिलाफ बना माहौल और अंदरखाने चल रही खींचतान है.
बीजेपी ने चली शुरुआती चाल
बीजेपी ने कमजोर साबित हो रहे अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान को हटाकर अध्यक्ष की कमान सांसद राकेश सिंह को सौंपी है, जो जमीनी राजनीति करते हुए सांसद बने. प्रदेश की राजनीति में उनका किसी से मतभेद नहीं है और न ही उनकी पहचान किसी खास गुट से रही है. हालांकि महाकौशल क्षेत्र के बाहर उनकी बड़े नेता के तौर पर पहचान नहीं है. इतना जरूर है कि वे पहले कभी प्रहलाद पटेल और उमा भारती के नजदीकी हुआ करते थे.
तोमर को मिली बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ-साथ चुनाव प्रबंध समिति का भी गठन कर दिया है. इस समिति का संयोजक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बनाया गया है. तोमर की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से खूब पटती है, वहीं राकेश सिंह भी उनके नजदीकियों में हैं.