मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मित्र संजय गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ और संजय गांधी की दोस्ती बेहद खास है. दोनों में इतनी घनिष्ठता थी कि इंदिरा गांधी कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा मानती थीं.आइए जानते हैं कैसे संजय गांधी और कमलनाथ की दोस्ती इतनी बढ़ गई कि संजय गांधी के सबसे करीबी लोगों में कमलनाथ शुमार हो गए.
18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मशहूर दून स्कूल से हुई. दून स्कूल में ही फिरोज गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से कमलनाथ की मुलाकात हुई. दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम में ग्रेजुएशन की डिग्री ली.
कमलनाथ ने ट्विटर पर संजय गांधी के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि संजय गांधी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन.
स्व. श्री संजय गांधी जी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन..। pic.twitter.com/nMsn3LVuPs
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) June 23, 2019
दून स्कूल में हुई संजय गांधी से दोस्ती
कमलनाथ का जन्म वैसे तो कानपुर में हुआ था लेकिन उन्होंने देहरादून और पश्चिम बंगाल में पढ़ाई की. देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले संजय गांधी की दोस्ती दून स्कूल में पश्चिम बंगाल से आने वाले कमलनाथ से हुई. दून स्कूल से शुरू हुई ये दोस्ती धीरे-धीरे पारिवारिक होती गई. दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज पहुंचे. शहर बदलने के बाद भी दोनों दोस्तों के बीच ज्यादा दूरी नहीं रह पाई.
कमलनाथ पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के दौर से ही गांधी परिवार के करीबी रहे हैं. कमलनाथ अपना बिजनेस बढ़ाना चाहते थे. ऐसे में एक बार फिर दून स्कूल के ये दोनों दोस्त फिर करीब आ गए. कहा जाता है इमरजेंसी के दौर में कमलनाथ की कंपनी जब संकट में चल रही थी तो उसको इससे निकालने में संजय गांधी का अहम रोल रहा.
संजय गांधी के बेहद करीबी थे कमलनाथ
कमलनाथ, संजय गांधी के साथ हर वक्त रहते थे. बड़े बेटे राजीव गांधी की राजनीति में आने की इच्छा नहीं थी. ऐसे में संजय गांधी को जरूरत एक ऐसे शख्स की थी जो हर वक्त साथ देने के लिए तैयार रहे. कमलनाथ, संजय गांधी के लिए ऐसे ही साथी बनकर सामने आए.
1975 में इमरजेंसी के बाद से कांग्रेस खराब दौर से गुजर रही थी. इस दौर में संजय गांधी की असमय मौत हो गई थी, इंदिरा गांधी की भी उम्र अब साथ नहीं दे रही थी. संजय गांधी 23 जून, 1980 को विमान हादसे का शिकार हो गए थे और उनकी मौत हो गई थी.
कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई. कमलनाथ गांधी परिवार के करीब आ ही चुके थे, वे लगातार मेहनत भी कर रहे थे.वह लगातार पार्टी के साथ खड़े हुए थे. इसका इनाम उन्हें इंदिरा गांधी ने दिया जब उन्हें छिंदवाड़ा सीट से टिकट दिया और राजनीति में उतार दिया.
कमलनाथ इसी के बाद से ही अब तक राजनीति में सक्रिय हैं और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में एक हैं. कमलाथ के समर्थक जानते हैं कि छिंदवाड़ा अब कांग्रेस का ऐसा मजबूत गढ़ है, जहां बीजेपी भी पांव नहीं पसार पा रही है.