उत्तर प्रदेश से सटे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के तहत आने वाली करीब 30 विधानसभा सीटें हैं. ये इलाका परंपरागत तौर पर बीजेपी के लिए हमेशा से मुफीद रहा है. लेकिन इस बार का चुनाव कई मायनों में बीजेपी के लिए भारी पड़ता दिख रहा है. आजतक की टीम ने मध्य प्रदेश के सतना से टीकमगढ़ क्षेत्र का दौरा करके सियासी फिजा जानने की कोशिश की है.
मध्य प्रदेश में 'मामा' के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपनी लोकप्रियता मानी जाती है, लेकिन आजतक की टीम ने जब सतना से टीकमगढ़ तक का दौरा किया तो पाया कि जमीन पर मुख्यमंत्री के काम दिखाई देने के बावजूद लोगों में उन्हें लेकर नाराजगी है. प्रदेश में शिवराज सरकार के 15 साल में सड़क और बिजली के इंतजाम तो दिखते हैं, लेकिन पानी की किल्लत आज भी लोगों को परेशान कर रही है.
पानी की किल्लत
उत्तर प्रदेश की सीमा पार करते ही मध्य प्रदेश की चित्रकूट विधानसभा लगती है जो सतना जिले में आती है. आजतक की टीम ने जब सतना का रुख किया तो करीब 35 किलोमीटर के बाद मजगवां कस्बा मिला जहां के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. पथरीला इलाका जहां पानी के नाम पर बड़े-बड़े गड्ढे खुदे हुए हैं, लेकिन बारिश के बाद भी यहां पानी का कोई नामोनिशान नहीं है. यहां के कुएं भी सूख चुके हैं.
यहां के लोगों का कहना है कि सरकार चाहती तो पानी की किल्लत अब तक दूर हो चुकी होती. यहां छोटे-छोटे चेक डैम बनाकर इस इलाके को हमेशा के लिए पानी की किल्लत से मुक्त किया जा सकता था, लेकिन भ्रष्ट अफसरों और अधिकारियों ने इस इलाके को प्यासा छोड़ रखा है.
रैगांव विधानसभा से गुजरे तो हाईवे किनारे एक खेत में बुआई होती देखकर एकबारगी लगा कि शायद लोग शिवराज सरकार से यहां तो खुश होंगे, लेकिन यह किसान भी नाराज था. वजह पानी की किल्लत और महंगाई.
किसान परेशान
संदीप बौद्ध कहते हैं कि ये किसान इसलिए नाराज हैं कि उनके खेतों तक पानी का इंतजाम नहीं है. बिजली भी जरूरत के मुताबिक नहीं आती. हालांकि बातचीत में उसने साफ कर दिया कि यहां जाति को देखकर ही वोट करते हैं.
चित्रकूट के सिजवार गांव में आजतक की टीम ने किसानों से बातचीत की. गांव के किसान विजय यादव के जुबान पर खेती को लेकर ढेरों सवाल और समस्याएं थीं. विजय अपनी तकलीफ बयां करते हुए कहा कि शिवराज सरकार से ज्यादा नाराजगी नहीं है, लेकिन खेती की लागत को लेकर परेशान हूं. किसानी की परवाह किसी भी पार्टी को नहीं है. देश का किसान बीज खाद और पानी तीनों के लिए जितने पैसे खर्च करने पड़ते हैं, उतने से वह सिर्फ अपने परिवार का पेट पाल सकते हैं. वहीं बगल में खड़े दूसरे किसानों ने कहा 15 साल शिवराज को देख लिया, अब बदलाव लाएंगे.
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