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MP: मेडिकल परीक्षा में दूसरे छात्र की जगह टेस्ट देने वाले डॉक्टर को 5 साल की सजा

आरोपी मनीष कुमार, एक उम्मीदवार की जगह पीएमटी-2004 की लिखित परीक्षा में शामिल हुआ था. परीक्षा के दौरान ही उसे पकड़ लिया गया था. लेकिन ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी.

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डॉक्टर को एक दूसरे कैंडिडेट की जगह टेस्ट देने के लिए सजा सुनाई गई है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डॉक्टर को एक दूसरे कैंडिडेट की जगह टेस्ट देने के लिए सजा सुनाई गई है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2004 में PMT परीक्षा में दूसरे कैंडिडेट की जगह बैठा था
  • मौके पर ही पकड़ लिया गया, लेकिन जमानत मिल गई
  • जमानत के बाद से फरार था, 2018 में CBI ने अरेस्ट किया

एमबीबीएस स्नातक और एमडी के छात्र डॉ. मनीष कुमार को मध्य प्रदेश 2004 प्री-मेडिकल टेस्ट परीक्षा के दौरान एक अन्य उम्मीदवार की जगह परीक्षा देने के लिए 5 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है. मनीष कुमार ने साल 2011 में दरभंगा (बिहार) से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और फिलहाल वो वाराणसी (यूपी) से एमडी की पढ़ाई कर रहा था. दिलचस्प बात ये है कि मनीष ने एमबीबीएस की डिग्री और एमडी में प्रवेश तब लिया, जब वह पुलिस की फाइलों में फरार घोषित था.

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सीबीआई के मुताबिक विशेष न्यायाधीश, सीबीआई (व्यापम मामले), इंदौर (मध्य प्रदेश) ने मनीष कुमार को व्यापम से जुड़े एक मामले में पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. मनीष कुमार 2004 के बाद से फरार था और 2016 में सीबीआई द्वारा मामले की जांच संभालने के बाद 12 नवंबर, 2018 को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. अगले दिन उसे इंदौर कोर्ट इंदौर में पेश किया गया, जहां उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जांच के बाद, CBI ने 21 जनवरी, 2019 को उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान भी मामले की सुनवाई जारी रही और अंत में अदालत ने आरोपी मनीष कुमार को दोषी करार दे दिया गया.

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सीबीआई ने 31 मई, 2016 को इस मामले की जांच, मध्य प्रदेश पुलिस से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर संभाल ली थी. CBI के मुताबिक यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी मनीष कुमार, एक उम्मीदवार की जगह पीएमटी-2004 की लिखित परीक्षा में शामिल हुआ था. परीक्षा के दौरान ही उसे पकड़ लिया गया था. लेकिन ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी थी. तभी से वह फरार हो गया.

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मनीष के खिलाफ स्थानीय पुलिस द्वारा उसके फरार रहने के दौरान आरोप पत्र दाखिल किया गया और ट्रायल कोर्ट ने उम्मीदवार और बिचौलिए को बरी कर दिया था. सीबीआई की जांच के दौरान पता चला कि मनीष कुमार, जो 2004 से फरार था, ने अपने पिता का नाम और घर का पता गलत बताया था.

निरंतर प्रयासों के बाद, CBI ने मनीष के पिता का सही नाम और पटना में स्थित उसके घर का पता लगा लिया. CBI ने जांच के दौरान यह भी पाया कि मनीष ने 2011 में दरभंगा (बिहार) से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और वाराणसी (यूपी) से एमडी की पढ़ाई कर रह रहा है. आपको बता दें कि अब तक 36 व्यापम मामलों में, ट्रायल कोर्ट ने लगभग 100 आरोपियों को दोषी करार दिया है.

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