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10 साल की जेल, 1 लाख जुर्माना… MP के एंटी-लव जिहाद अध्यादेश में ये हैं प्रावधान

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राज्य में अब ऐसे मामलों में एक लाख का जुर्माना और दस साल तक की सजा का प्रावधान है.

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शिवराज सरकार ने एंटी-लव जिहाद अध्यादेश को दी मंजूरी (फाइल)
शिवराज सरकार ने एंटी-लव जिहाद अध्यादेश को दी मंजूरी (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी के बाद एमपी में भी धर्म परिवर्तन का कानून
  • गैर-कानूनी रूप से धर्म बदलवाने पर 10 साल की सजा

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश में भी अब लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश लाया गया है. बीते दिन राज्य सरकार की ओर से इसको मंजूरी दे दी गई है. कुछ हदतक मध्य प्रदेश में लाया गया कानून उत्तर प्रदेश की तरह ही है, हालांकि यहां सरकार ने जुर्माने की राशि को कई जगह बढ़ाया है.

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मध्य प्रदेश के अध्यादेश को लेकर जानें मुख्य बातें... 
-    मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को 'धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020'  नाम दिया गया है.
-    गैर कानूनी तरीके से धर्म बदलवाने पर दस साल तक की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना. 
-    गैर कानूनी तरीके धर्म परिवर्तन कराना शून्य माना जाएगा और शादी को भी नहीं माना जाएगा.
-    अगर ऐसी शादी के बाद संतान होती है, तो पिता की संपत्ति पर उसे हक मिलेगा.  

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-    धमकी, शादी या किसी अन्य तरह की बात कर धर्म बदलवाने वाले को पांच साल तक की सजा, जबकि 25 हजार रुपये तक का जुर्माना. 
-    किसी नाबालिग या अनुसूचित जाति जनजाति की महिला/युवती के साथ किया जाता है तो इसके लिए 10 साल तक की सज़ा और 50,000 रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है.

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उत्तर प्रदेश के अध्यादेश से कितना अलग?
अगर उत्तर प्रदेश के धर्म परिवर्तन कानून की बात करें, तो लालच देकर धर्म बदलवाने के मामले में सजा 5 साल ही है, लेकिन जुर्माना 15 हजार है. जबकि गैर-कानूनी रूप से धर्म बदलवाने पर यूपी में जुर्माना 1 लाख की बजाय 50 हजार का है. इसके अलावा यूपी के कानून में संतान होने पर पिता की संपत्ति में अधिकार वाली बात नहीं कही गई है. ऐसे में सजा हो या फिर जुर्माना, मध्य प्रदेश की सरकार ने अपने यहां कानून को यूपी से भी सख्त बनाया है. 

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की सरकार पहले एंटी लव जिहाद कानून को विधानसभा में लाने वाली थी, लेकिन कोरोना के कारण सत्र नहीं हो सका. ऐसे में सरकार ने कैबिनेट के रास्ते अध्यादेश पास किया, जिसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है. अब शिवराज सरकार को 6 महीने के भीतर इस अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए सदन से पास कराना होगा.


 

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