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MP उपचुनाव: बीजेपी ने गठित की कमेटी, सिंधिया को मिली जगह लेकिन समर्थकों की नोएंट्री

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा सीटों के प्रभारियों की नियुक्ति के बाद अब उपचुनाव के लिए संचालन समिति और प्रबंध समिति का गठन किया है. बीजेपी की इस समिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया को शामिल तो किया है, लेकिन उनके समर्थकों को एंट्री नहीं मिल सकी है. जबकि शिवराज सरकार बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है.

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कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी ज्वाइन करते सिंधिया समर्थक
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी ज्वाइन करते सिंधिया समर्थक

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  • एमपी की 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की सरगर्मी तेज
  • बीजेपी ने चुनाव के लिए संचालन-प्रबंध समिति का किया गठन

मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछायी जाने लगी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस चंबल-ग्वालियर संभाग में दोबारा से अपना सियासी किला मजबूत करने में जुटी है. वहीं, बीजेपी ने विधानसभा सीटों के प्रभारियों की नियुक्ति के बाद अब उपचुनाव के लिए संचालन समिति और प्रबंध समिति का गठन किया है. बीजेपी की इस समिति में सिंधिया को तो शामिल किया गया है, लेकिन उनके समर्थक नेताओं को एंट्री नहीं मिल सकी है जबकि शिवराज सरकार की सत्ता में वापसी सिंधिया समर्थक विधायकों के चलते ही हुई है.

बता दें कि मध्य प्रदेश की 24 सीटों के उपचुनाव के लिए बीजेपी ने रविवार को संचालन समिति और प्रबंध समिति का गठन किया है. संचालन समित में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित 22 सदस्यों को शामिल किया गया है. वहीं, प्रबंध समिति में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को संयोजक बनाया गया है. इस समिति में कुल 18 सदस्य शामिल हैं.

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बीजेपी ने संचालन समिति में ज्यादातर उन पूर्व मंत्रियों को शामिल किया है जिनके उपचुनाव में नाराज होने की आशंका ज्यादा थी. गोपाल भार्गव, जयभान सिंह पवैया, गौरीशंकर शेजवार, माया सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, अनूप मिश्रा, रुस्तम सिंह, दीपक जोशी, लाल सिंह आर्य और नारायण सिंह कुशवाहा के नाम शामिल हैं. इनमें ज्यादातर ग्वालियर चंबल संभाग के वे नाम हैं, जिनके उपचुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर नाराज होने की संभावना थी. संचालन समिति में शामिल करके संगठन ने उन्हें साधने की कोशिश की है.

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मध्य प्रदेश उपचुनाव के लिए बीजेपी के गठित संचालन समिति और प्रबंध समिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया को छोड़कर उनके किसी और समर्थक को जगह नहीं दी गई है जबकि, शिवराज सरकार बनाने में सिंधिया समर्थक विधायकों की अहम भूमिका रही है. सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायक ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था, जिसके बाद ही शिवराज के सिर सत्ता की ताजपोशी हुई है. इसमें कमलनाथ कैबिनेट के 6 मंत्री भी इस्तीफा देने वालों में शामिल थे. इसके बावजूद उपचुनाव के लिए बनी दोनों समितियों में सिंधिया के सिवा किसी को भी जगह नहीं दी गई है.

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इसे लेकर अब कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं. हालांकि बीजेपी का कहना यह है कि सिंधिया समर्थक जो लोग बीजेपी में शामिल हुए हैं, उन्हें उपचुनाव मैदान में उतरना है. ऐसे में प्रबंधन का काम और संचालन का काम पार्टी के दूसरे नेताओं को दिया गया है. इसे राजनीति नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. हालांकि, बीजेपी को उपचुनाव में विजय हासिल करने में सर्वाधिक भरोसा ज्योतिरादित्य सिंधिया पर है. सिंधिया के प्रभाव में ही चंबल-ग्वालियर की अधिकांश सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. अब वह बीजेपी में हैं और उनके लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल भी है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल शुरू है.

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