मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भर में जनआशीर्वाद यात्रा कर रहे हैं तो मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सत्ता विरोधी लहर पर सवार होने के लिए पूरा दमखम लगा रही है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा यह साफ नहीं है, पार्टी के तीन नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने-अपने स्तर से जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं.
राज्य विधानसभा की सूरत
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए इसी साल नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हैं. 230 में से 35 अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी 165 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
निर्वाचन आयोग के मुताबिक 2013 में मध्य प्रदेश में कुल 46636788 मतदाता थे जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 22064402 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 24571298 और अन्य वोटर्स 1088 थे. 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
पाटन विधानसभा सीट का समीकरण
जबलपुर जिले और संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें पाटन, बार्गी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर छावनी, जबलपुर पश्चिम, पनागर, सिहोरा शामिल हैं. इनमें सिहोरा अनुसूचित जनजाति और जबलपुर पूर्व अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. पाटन विधानसभा क्षेत्र में 333357 आबादी निवास करती है जिनमें 85.94% ग्रामीण जबकि 14.06% जनसंख्या शहर में रहती है. यहां की कुल आबादी में 15.77 आदिवासी जबकि 16.95 फीसदी आबादी दलितों की है. मतदाता सूचि के मुताबिक 238875 वोटर्स 303 मतदान केंद्रों के जरिये जनप्रतिनिधियों के भाग्य का फैसला करेंगे. 2013 के विधानसभा चुनाव में 77.63 फीसदी मतदान हुआ था.
बहरहाल, जबलपुर की पाटन सीट पर अभी कांग्रेस का कब्ज़ा है. कांग्रेस नेता नीलेश अवस्थी इस क्षेत्र से विधायक हैं. इसके पहले तक सीट भाजपा के कब्जे में थी, और इसे उसका गढ़ माना जाता था. लेकिन 2013 के विधानसभा सीट से भाजपा के सफ़ाये के बाद पूर्व विधायक और भगवा पार्टी के कद्दावर नेता अजय विश्नोई ने इस क्षेत्र से चुनाव न लड़ने की मंशा जाहिर की है. उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि वे जिले की किसी भी सीट चाहे पनागर, पश्चिम या कोई और ही क्यों न हो वह उस सीट से कांग्रेस का मुकाबला करने तैयार हैं, लेकिन पाटन से लड़ने वे कतई तैयार नहीं हैं.
दरअसल 2013 के विधानसभा चुनाव में उम्मीद से उलट आए नतीजों ने भाजपा को खासा नुकसान पहुंचाया था और कई सालों से कब्ज़े वाली सीट से भी जनता ने भाजपा के प्रत्याशी को हार का स्वाद चखा दिया था. लिहाज़ा पिछली हार से सबक और जनता के आक्रोश को देखते हुए अजय विश्नोई ने इस बार पाटन क्षेत्र से चुनाव लड़ने से अपने कदम खींच लिए हैं.