मध्य प्रदेश की इछावर विधानसभा सीट सीहोर जिले में आती है. इछावर राजधानी भोपाल से 57 किमी की दूरी पर स्थित है.यह सीट बीजेपी का गढ़ है, हालांकि 2013 के चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था. इछावर के बारे में एक और बात खास है. कहा जाता है कि जो मुख्यमंत्री इछावर का दौरा करता है उसको कुर्सी गंवानी पड़ती है. और इतिहास भी कुछ ऐसा ही बताता है.
इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकता हैं कि खुद सीएम शिवराज सिंह बतौर सीएम रहते इसके इलाके में नहीं आए हैं. बता दें इछावर के मिथक को तोड़ने का प्रयास कई मुख्यमंत्री कर चुके हैं, लेकिन जितने भी मुख्यमंत्रियों ने यहां कदम रखा उन सभी को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.
2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस मिथक को तोड़ने के लिए 15 नवंबर, 2003 को आयोजित सहकारी सम्मेलन में शामिल होने इछावर पहुंचे थे. इसके बाद मध्य प्रदेश में हुए चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
इछावर के मिथक को तोड़ने की कोशिश मुख्यमंत्री डॉ. कैलाश नाथ काटजू ने भी की थी. काटजू 12 जनवरी 1962 को विधानसभा चुनाव के एक कार्यक्रम में भाग लेने इछावर आए थे और इसके बाद 11 मार्च 1962 को हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हार गई और डॉ. कैलाश नाथ काटजू को अपनी सत्ता से हांथ धोना पड़ा.
वहीं 1 मार्च 1967 को द्वारका प्रसाद मिश्र भी इछावर आए थे और 7 मार्च 1967 को हुए नए मंत्रिमंडल के गठन से उपजे असंतोष के चलते मिश्र को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
2013 और 2008 के चुनावी नतीजे
2013 के चुनाव में कांग्रेस के शैलंद्र रमेश चंद्र पटेल ने बीजेपी के करण सिंह कन्हैयालाल को सिर्फ 744 वोटों से हराया था. 2008 के चुनाव में बीजेपी के करण सिंह वर्मा ने कांग्रेस के डॉ. बलवीर तोमर को 18 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. इस चुनाव में करण सिंह तोमर को 50129 वोट मिले थे तो वहीं डॉ. बलवीर तोमर 31977 वोट मिले थे.
2013 में क्या थे राज्य के चुनावी नतीजे
मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं.