मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की 6 सीटों में से एक मलहरा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. साल 2013 के चुनाव में यहां से बीजेपी की रेखा यादव को जीत मिली थी और उन्होंने कांग्रेस के तिलक सिंह लोधी को करीब 1500 वोटों से हराया था. इस सीट से वह साल 2008 में भी विधायक रह चुकीं हैं.
खास बात यह है कि जब 2003 में पहली बार उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तब वह मलहरा सीट से ही विधायक चुनी गईं थीं. हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा और आठ महीने बाद ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. इस सीट से उनके भाई स्वामी प्रसाद भी विधायक रहे चुके हैं. इस सीट पर करीब 2 लाख मतदाता है जिनमें पिछड़े वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा है. लोधी, राजपूत और यादव समुदाय के समर्थन के बगैर इस सीट पर सीट मुमकिन नहीं है.
साल 2013 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस के अलावा बीएसपी और सीपीआई ने भी अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि मायावती की पार्टी BSP को 20 फीसद और सीपीआई को सिर्फ 2 फीसद वोट ही हासिल हो सके थे. अगर इस बार बीएसपी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो इस सीट पर गणित कुछ और हो सकता है.
मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर इस साल आखिर में चुनाव होने हैं, हालांकि इस बार उमा भारती राज्य की राजनीति से बाहर हैं और उन्हें केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है. फिर भी मलहार सीट पर उनके प्रभाव जरूर रहेगा और मुमकिन है कि वह इस क्षेत्र में प्रचार के लिए भी उतरें.
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी चौथी बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए कमर कस चुकी है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने अपना नेतृत्व परिवर्तन करते हुए वरिष्ठ नेता कमलनाथ को राज्य की कमान सौंपी है. इसके अलावा उनका साथ देने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी प्रचार और प्रबंधन का जिम्मा दिया गया है.