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MP: सेवढ़ा में बीजेपी की राह मुश्किल, AAP भी उतरी मैदान में

मध्य प्रदेश की सेवढ़ा सीट पर किसी एक पार्टी का बोलबाला नहीं रहता. पिछले दो बार से दो अलग-अलग विधायक विधानसभा में पहुंचे हैं. 

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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सेवढ़ा मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा की सीटों में से एक है. 2008 तक यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी. इस सीट पर हुए 1951 में पहले चुनाव में कांग्रेस के राम दास ने जीत हासिल की थी. सेवढ़ा सीट दतिया जिले की 3 विधानसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर किसी एक पार्टी का बोलबाला नहीं रहता.

यहां की जनता पिछले दो बार से अलग-अलग विधायक को विधानसभा में भेजती आई है. 2008 में जहां बीएसपी के राधेलाल बघेल ने चुनाव जीता था तो वहीं 2013 में बीजेपी के प्रदीप कुमार अग्रवाल को यहां की जनता ने चुना. 2013 के चुनाव में कांग्रेस के घनश्याम सिंह दूसरे स्थान पर थे.

2013 में जीत हासिल करने वाले प्रदीप कुमार अग्रवाल 2008 के चुनाव में दूसरे स्थान पर थे. अग्रवाल को 2008 में जहां 19521 वोट मिले थे, वहीं 2013 में उन्हें 32423 वोट हासिल हुए थे. ऐसे में जिस तरह से बीजेपी ,कांग्रेस और बीएसपी के बीच यहां मुकाबला होता है उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं सेवढ़ा की जनता इतनी आसानी से किसी को नहीं चुनती है.

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इस साल के अंत में होने वाले चुनाव में इस सीट पर और भी कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि आम आदमी पार्टी भी अपना उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर चुकी है. वहीं अगर कांग्रेस और बीएसपी में गठबंधन होता है तो इस बार बीजेपी की मुश्किलें बढ़ना तय है.

2013 के चुनावी नतीजे

मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं.

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