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मध्य प्रदेश: 'कमलराज' में टूट गई परंपरा, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पर कांग्रेस का कब्जा

Madhya pradesh assmbly में गुरुवार को बरसों पुरानी परंपरा उस वक्त टूट गई जब विधानसभा अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया. उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस की उम्मीदवार हिना कांवरे को चुन लिया गया है.

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मध्य प्रदेश में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष दोनों कांग्रेस के (फाइल-PTI)
मध्य प्रदेश में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष दोनों कांग्रेस के (फाइल-PTI)

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मध्य प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को बरसों पुरानी परंपरा उस वक्त टूट गई जब विधानसभा अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया. उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस की उम्मीदवार हिना कांवरे को चुन लिया गया है. इससे पहले कांग्रेस विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति मंगलवार को मध्य प्रदेश की 15वीं विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए थे. विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी ने 8 जनवरी को अपना उम्मीदवार खड़ा किया था जिसके चलते कांग्रेस ने तय किया कि विपक्ष को दिए जाने वाला उपाध्यक्ष पद के लिए अब वह भी अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी. नतीजे में भारी हंगामे के बीच कांग्रेस की हिना कांवरे उपाध्यक्ष पद के लिए चुन ली गईं.

मध्य प्रदेश विधानसभा की पुरानी परंपरा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तापक्ष और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के लिए होता था, लेकिन 8 जनवरी को बीजेपी ने इस परंपरा को तोड़ते हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी उतार दिया. नतीजतन बीजेपी को अध्यक्ष पद के साथ-साथ उपाध्यक्ष पद से भी हाथ धोना पड़ा. दो दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए भी विधानसभा में भारी हंगामा हुआ था. बीजेपी ने चुनाव को गलत ठहराते हुए विधानसभा का बहिष्कार किया और राजभवन तक पैदल मार्च निकाला. इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया गया. 8 जनवरी को स्पीकर पद के लिए हुए वोटिंग का बीजेपी ने बहिष्कार किया और 120 विधायकों के समर्थन के साथ कांग्रेस ने स्पीकर चुन लिया.

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कमलनाथ ने बीजेपी को ठहराया जिम्मेदार

विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों पर कांग्रेस का कब्जा होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया से बात करते हुए इसके लिए बीजेपी की हठधर्मिता को जिम्मेदार बताया. कमलनाथ ने कहा कि 'परंपराएं टूटी है, हमें इस बात का दुख है, लेकिन शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने की. फूट डालने की मंशा के साथ बीजेपी ने अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन भरा. स्पीकर का चुनाव प्राथमिकता नहीं, अपना बहुमत साबित करना हमारी प्राथमिकता में रहा. हमने जीत के साथ बहुमत साबित कर बताया.' उन्होंने कहा कि जब बीजेपी ने परंपरा तोड़ी तो हमने भी उसी तरह जवाब दिया. उसके बाद ही उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ने का फैसला लिया.

शिवराज बोले 'राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात'

उपाध्यक्ष पद से हाथ गंवाने के बाद बीजेपी ने इसे लोकतंत्र का काला अध्याय करार दिया. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया गया जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात है. उन्होंने कहा कि इस मामले में बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही राष्ट्रपति से मुलाकात कर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार करेगा.

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