शनिवार को हुई कमलनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक में नई शराब नीति लागू करने के फैसले पर मुहर लग गई है. नई नीति के तहत बार लाइसेंस पहले से सस्ता होगा. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसका विरोध किया है. अब मध्यप्रदेश में बार लाइसेंस के लिए अब 5 लाख रुपए की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है.
राजस्व बढ़ाने में मिलेगी मदद
कैबिनेट बैठक के बाद जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि बार लाइसेंस के लिए लगने वाली फीस अब 5 लाख रुपए से घटाकर डेढ़ लाख रुपए की जाएगी. वहीं, जंगलों से सटे रिजॉर्ट में बार के लिए ज्यादा कमरों की बाध्यता को कम किया गया है. मंत्री पीसी शर्मा के मुताबिक अब 5 कमरे के रिजॉर्ट को भी बार का लाइसेंस मिल सकेगा. फिलहाल, इसके लिए कम से कम 25 कमरे होना अनिवार्य है. सरकार का मानना है कि इससे राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी.
'सरकार को बाढ़ पीड़ितों की नहीं, बार प्रेमियों की चिंता'
बार लाइसेंस फीस कम किए जाने पर बीजेपी ने तंज कसा है मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा है कि 'कमलनाथ सरकार को बाढ़ पीड़ितों से ज्यादा ‘बार प्रेमियों’ की फिक्र है. राकेश सिंह ने कहा कि प्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण सबसे अधिक बर्बादी हुई है और यह अब भी जारी है.
ऐसे समय में किसी भी सरकार की प्राथमिकता पीड़ितों को राहत देना, उन्हें नई जिंदगी शुरू करने में सहारा देना और भविष्य के लिए उन्हें तैयार करना होना चाहिए. लेकिन इन सब बातों को छोड़कर प्रदेश सरकार अपनी कैबिनेट की बैठक में बार लाइसेंस की शर्तों को आसान बनाने संबंधी फैसला ले रही है.
बीजेपी ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार ने लगातार शराब दुकानों, बार, अहातों, रिजॉर्ट बार को लेकर जो फैसले कर रही है उससे मध्यप्रदेश में शराब के कारोबार और शराबखोरी को बढ़ावा मिलेगा.