मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सभी 230 सीटों पर राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने में इस बार भी कंजूसी बरती है.
बात अगर कांग्रेस और बीजेपी की करें तो दोनों दलों ने कुल मिलाकर 459 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं लेकिन इनमें से मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या सिर्फ 4 है.
कांग्रेस ने जहां विधानसभा चुनाव में 3 मुस्लिम चेहरे उतारे हैं तो वहीं बीजेपी ने पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. मध्य प्रदेश में कुल आबादी का लगभग 6 फीसदी आबादी मुसलमानों की है, लेकिन इसके बावजूद बीते दो विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस ने कुल 10 मुस्लिम प्रत्याशी ही मैदान में उतारे हैं.
कांग्रेस-बीजेपी के मुस्लिम प्रत्याशी
बीजेपी ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी को खड़ा किया है. बीजेपी ने भोपाल उत्तर से फातिमा सिद्दीकी को टिकट दिया है.
जबकि कांग्रेस ने तीन मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जिनमें से अकेले भोपाल से ही दो मुस्लिम प्रत्याशी हैं. कांग्रेस ने भोपाल उत्तर से आरिफ अकील और भोपाल मध्य से आरिफ मसूद को टिकट दिया है और सिरोंज से मसर्रत शाहिद को मैदान में उतारा है.
आपको बता दें कि आरिफ अकील बीते 15 सालों से मध्य प्रदेश के इकलौते मुस्लिम विधायक भी हैं जिन पर एक बार फिर कांग्रेस ने भरोसा जताया है.
2013 में थे 6 मुस्लिम प्रत्याशी
बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी आरिफ बेग को ही मैदान में उतारा था. कांग्रेस ने 2013 विधानसभा चुनाव में 5 मुस्लिम प्रत्याशियों आरिफ अकील, फिरोज अहमद खान, अब्दुल मजीद खान, आरिफ मसूद और यूसूफ काडापा को मैदान में उतारा था.
नेताओं की दलील
मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका कम देने पर राजनीतिक पार्टियों की अपनी-अपनी दलील है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह खुद मानते हैं कि प्रदेश की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी को देखते हुए 10 के लगभग सीटों पर मुसलमानों को टिकट देना चाहिए लेकिन इस बार जीत के पैमाने को ध्यान में रखकर टिकट दिए गए हैं.
इस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि बीजेपी कभी भी धर्म को ध्यान में रखकर टिकट नही देती बल्कि जीतने वाले प्रत्याशी को ही मैदान में उतारती है ऐसे में टिकटों में हिन्दू-मुस्लिम वाली बात को वो खारिज करते हैं.
अब देखना ये है कि बयानों से तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियां आखिर कब टिकटों के बंटवारे में मुस्लिमों को उनका वाजिब हक देती है.