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कमलनाथ लौटेंगे या बने रहेंगे शिवराज? MP के वोटर तय कर रहे हैं आज

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर 355 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें 22 महिला प्रत्याशी व 12 मंत्री भी मैदान में हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच ज्यादातर सीटों पर सीधी लड़ाई मानी जा रही है जबकि कुछ सीटों पर बसपा और निर्दलीय ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. यह उपचुनाव सूबे के शिवराज सरकार की भविष्य का फैसला करेगा तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 

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एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान
एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एमपी उपचुनाव की 28 सीटों पर वोटिंग
  • शिवराज सरकार को बहुमत के लिए 8 सीटें चाहिए
  • कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 28 सीटें चाहिए

मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है. प्रदेश की 28 सीटों पर 355 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें 22 महिला प्रत्याशी व 12 मंत्री भी मैदान में हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच ज्यादातर सीटों पर सीधी लड़ाई मानी जा रहाी है जबकि कुछ सीटों पर बसपा और निर्दलीय ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. यह उपचुनाव सूबे के शिवराज सरकार की भविष्य का फैसला करेगा तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 

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एमपी की 28 सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करीब 63 लाख 88 हजार मतदाता करेंगे. इनमें 33.72 लाख पुरुष और 29.77 लाख महिला और 198 थर्ड जेंडर मतदाता हैं, जबकि 18,737 सर्विस वोटर मतपत्रों से मतदान करेंगे. उपचुनाव वाली सीटों पर वोटिंग के लिए 9,361 मतदान केंद्र बनाए हैं, जिनमें से 3,038 बूथ 'संवेदनशील' श्रेणी में रखे गए हैं. उपचुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और निष्पक्ष मतदान के लिए 33 हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किए गए हैं. 

मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में पहली बार किसी राज्य में एक साथ 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. एमपी की 29 विधानसभा सीटें रिक्त हैं, जिनमें से 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफा देने और 3 विधायकों के निधन से रिक्त हुई सीटों पर हो रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस के आए सभी 25 विधायकों के टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है, जिनमें से शिवराज सरकार के 14 मंत्री भी हैं. 

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एमपी की कुल 230 विधासभा सीटों हैं, जिनमें से 29 सीटें रिक्त है. इनमें से 28 सीटों पर चुनाव हो रहा हैं, जिसके लिहाज से कुल 229 सीटों के आधार पर बहुमत का आंकड़ा 115 चाहिए. ऐसे में बीजेपी को बहुमत का नंबर जुटाने के लिए महज आठ सीटें जीतने की जरूरत है जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतनी होंगी. मौजूदा समय में बीजेपी के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है. 

28 सीटों पर उपचुनाव  

मध्य प्रदेश की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें से ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटें हैं. इनमें मुरैना, मेहगांव, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर, डबरा, बमोरी, अशोक नगर, अम्बाह, पोहारी,भांडेर, सुमावली, करेरा, मुंगावली, गोहद, दिमनी और जौरा सीट शामिल है. वहीं, मालवा-निमाड़ क्षेत्र की सुवासरा, मान्धाता, सांवेरस आगर, बदनावर, हाटपिपल्या और नेपानगर सीट है. इसके अलावा सांची, मलहरा, अनूपपुर, ब्यावरा और सुरखी सीट है. इसमें से जौरा, आगर और ब्यावरा सीट के 3 विधायकों के निधन के चलते उपचुनाव हो रहे हैं. 

शिवराज के मंत्रियों की साख दांव पर
एमपी उपचुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है. इसमें से 11 पर तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि यह उन्हीं के समर्थक माने जाते हैं और सिंधिया के कहने पर ही सभी ने दल बदल किया था. इनमें तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, बृजेंद्र सिंह यादव, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग पर सबकी नजर है. 

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सिंधिया के सामने खुद को साबित करने की चुनौती
ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह गणित थोड़ा अलग है. गुना से चार बार लोकसभा सांसद रहे सिंधिया चाहेंगे कि उनके गुट के सभी 22 विधायक, जिन्होंने उनके लिए इस्तीफा दिया था, फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचे. सिंधिया के लिए यह उप चुनाव उनके इलाके में उनके राजनीतिक कद को फिर से परिभाषित और पुनर्स्थापित करेगा, क्योंकि 22 में से 16 सीटें ग्वालिर और चंबल इलाके की हैं, जहां सिंधिया परिवार का दबदबा रहा है. सिंधिया को अपनी नई पार्टी बीजेपी (और लोगों) के सामने खुद को साबित करने की जरूरत में उनकी चुनौती सिर्फ कांग्रेस नहीं है, बसपा भी इस उपचुनाव में हर सीट पर चुनाव लड़ रही है. 

महिला प्रत्याशी मैदान 
मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में तो कुल 22 महिला प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन 3 बीजेपी की और तीन कांग्रेस की ओर से महिलाएं मैदान हैं. बीजेपी के टिकट पर डबरा से इमरती देवी, नेपानगर से सुमित्रा देवी और भांडेर से रक्षा सिरोनिया किस्मत आजमा रही हैं. वहीं, कांग्रेस के टिकट पर सुरखी से पारुल साहू, मलहरा से रामसिया भारती और अशोक नगर से आशा दोहरे मैदान में हैं. इसके अलावा बाकी महिला प्रत्याशी अन्य दलों से और निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरी हैं. हालांकि, बीजेपी से उतरी महिला प्रत्याशी 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंची थी. 

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6 सीटों का कांटे की टक्कर रही

मध्य प्रदेश की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनसे आधा दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां पर 2018 के चुनाव में जीत हार की मार्जिन काफी कम थी. इनमें सांवेर सीट पर तुलसीराम सिलावट  2,945 वोट के अंतर से जीते थे. मुंगावली 2136 वोटों से ही जीती थीं, कृष्णा पाल ने नजदीक से टक्कर दी. मान्धाता के विधायक नारायण पटेल खण्डवा ब्लॉक से कांग्रेस के एकलौते विधायक थे जिन्हें भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर ने टक्कर दी जीत का अंतर सिर्फ 1,236 वोट थी. 

वहीं, नेपानगर से भी बीजेपी काफ़ी हद तक जीत के नज़दीक थी, कांग्रेस की सुमित्रा कसडकर सिर्फ 1264 वोटों से जीती. सुवासरा से कांग्रेस विधायक रहे हरदीप सिंह डंग महज 350 वोट से जीते थे जबकि अशोक नगर सीट से जजपाल सिंह जज्जी भी महज 9,730 वोटों से जीत सके थे. ऐसे में इन आधा दर्जन सीटों पर सभी की निगाहें है. 

 

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