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2013 में साथ लड़ते कांग्रेस-BSP, तो छत्तीसगढ़ में नहीं बनती BJP सरकार

अगर ये गठबंधन पिछले चुनाव यानी 2013 में हुआ होता तो इन राज्यों के सियासी समीकरण बिल्कुल अलग होते. छत्तीसगढ़ में तो बीजेपी की सरकार की वापसी ही खटाई में पड़ जाती जबकि मध्य प्रदेश विधानसभा में भी कांग्रेस-बसपा गठबंधन बीजेपी की 41 सीटें कम कर देता.

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मायावती, सोनिया गांधी, राहुल गांधी
मायावती, सोनिया गांधी, राहुल गांधी

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कांग्रेस और बीएसपी इस साल होने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में गठबंधन कर मैदान में उतर सकते हैं. दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर मंथन जारी है. लेकिन अगर ये गठबंधन पिछले चुनाव यानी 2013 में हुआ होता तो इन राज्यों के सियासी समीकरण बिल्कुल अलग होते. छत्तीसगढ़ में तो बीजेपी की सरकार की वापसी ही खटाई में पड़ जाती जबकि मध्य प्रदेश विधानसभा में भी कांग्रेस-बसपा गठबंधन बीजेपी की 41 सीटें कम कर देता.

बता दें कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं. एमपी और छत्तीसगढ़ की सत्ता में बीजेपी 15 साल से काबिज है. एमपी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ बसपा के साथ गठबंधन के लिए मायावती के साथ बातचीत कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक राज्य में दोनों दलों के बीच गठबंधन तकरीबन तय है.

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2013 में मध्यप्रदेश में बीएसपी ने 230 सीटों में से 227 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. बसपा यहां 6.42 फीसदी वोट के साथ चार सीटें जीतने में सफल रही थी. जबकि बीजेपी और कांग्रेस के बीच 8.4 फीसदी वोट शेयर का अंतर था. बीजेपी को 165 सीटें और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं.

राज्य में अगर कांग्रेस बीजेपी मिलकर चुनावी समर में उतरते तो नतीजा अलग होता. दोनों पार्टियों के मिले मतों को जोड़ देते हैं तो बसपा-कांग्रेस के खाते में 103 सीटें होतीं. इस तरह से 41 सीटों का फायदा होता. जबकि बीजेपी 124 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी रहती.

छत्तीसगढ़ में अगर बसपा-कांग्रेस एक साथ होते तो राज्य की राजनीतिक तस्वीर अलग होती. 2013 के चुनाव में राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 49 सीटें जीती थीं. जबकि कांग्रेस को 39 और बसपा को 1 सीट मिली थी. दोनों पार्टियां मिलकर चुनावी समर में उतरतीं तो नतीजे अलग होते. बीजेपी को 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ता और 38 सीटें मिलतीं. जबकि कांग्रेस-बसपा गठबंधन 51 सीटों के साथ सत्ता पर काबिज हो जाता.

राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 163 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी. कांग्रेस को 21 और बसपा को 3 सीटें मिली थीं, जबकि 13 सीटें निर्दलीय को मिली थीं.

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राजस्थान में 2013 के चुनाव में कांग्रेस-बीएसपी गठबंधन से बीजेपी को 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ता. जबकि गठबंधन को 34 सीटों का फायदा मिल सकता था.

विधानसभा चुनाव के समीकरण पर नजर डालें तो बसपा का सबसे मजबूत आधार यूपी में है. जबकि मध्य प्रदेश में 62 सीटों पर उसका प्रभाव है. 2013 के चुनाव में बसपा के प्रभाव वाले क्षेत्र में बीजेपी को 40, कांग्रेस को 18 और खुद बसपा को चार सीटें मिली थीं. कांग्रेस-बीएसपी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा होता तो 46 सीटों पर उसे जीत मिलती. जबकि बीजेपी की 24 सीटें कम हो जातीं.

राजस्थान के 11 विधानसभा क्षेत्र यूपी की सीमा से सटे हैं. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने सात, कांग्रेस ने तीन और बसपा ने एक सीट जीती थी. जबकि गठबंधन होने पर इन्हें सात सीटों का फायदा मिलता और बीजेपी को 4 सीटों का नुकसान उठाना पड़ता.

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