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हबीबगंज रेलवे स्टेशन का बदला गया नाम, सीएम शिवराज ने रानी कमलाप​ति के जीवन पर लिखा ब्लॉग

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि रा​नी कमलापति भोपाल की अंतिम हिंदु रानी थीं. कमलापति अदम्य साहसी और निडर महिला थीं. नारी अस्मिता,धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिये रानी कमलापति ने जल समाधि लेकर ​इतिहास के पन्नों में अमिट स्थान बनाया है.

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shivraj singh chauhan
shivraj singh chauhan
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भोपाल की अंतिम हिंदू रानी थीं रा​नी कमलापति
  • हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम ​रानी ​कमलापति के नाम पर

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि रा​नी कमलापति भोपाल की अंतिम हिंदू रानी थीं. कमलापति अदम्य साहसी और निडर महिला थीं. नारी अस्मिता,धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिये रानी कमलापति ने जल समाधि लेकर ​इतिहास के पन्नों में अमिट स्थान बनाया है. उन्होंने लिखा कि अपनी महान परंपरा और विरासत का निर्वहन करते हुये रानी कमलापति ने नारी अस्मिता पर चोट नहीं आने दी. उन्हें सबकुछ गवांना पड़ा लेकिन विधर्मियों के आगे वे झुकीं नहीं.

चौहान ने लिखा कि रानी कमला​पति का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि अपने धर्म की रक्षा और कर्तव्य निर्वहन के लिये बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए. उन्होंने पूरे ब्लॉग में रानी कमलापति के ऐतिहासिक घटनाक्रम का वर्णन कर नारी अस्मिता के साहस का वर्णन किया है. आपको बता दें कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम ​रानी ​कमलापति के नाम में तब्दील कर दिया गया है. शिवराज सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गयी.

बता दें, 450 करोड़ के प्रोजेक्ट वाले हबीबगंज स्टेशन को पीपीपी मोड पर तैयार किया गया है. हबीबगंज स्टेशन देश का पहला ऐसा स्टेशन बन गया है जहां एयरपोर्ट की तरह वर्ल्ड क्लास सुविधाएं यात्रियों को मिल सकेंगी. इस स्टेशन पर लोग बिना भीड़भाड़ के ट्रेन की बर्थ तक पहुंच सकेंगे. जो यात्री स्टेशन स्टेशन पर उतरेंगे, वे भी दो अलग-अलग मार्गों के जरिये स्टेशन के बाहर सीधे निकल जाएंगे.

कैसे पड़ा हबीबगंज नाम?

इस रेलवे स्टेशन का नाम हबीब मियां के नाम पर रखा गया है. पहले इसका नाम शाहपुर हुआ करता था. साल 1979 में हबीब मियां ने रेलवे के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान पर दी थी, जिसके बाद इस रेलवे स्टेशन का नाम उनके नाम पर पड़ गया. और एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था, जिसके बाद हबीब और गंज को मिलाकर हबीबगंज नाम कर दिया गया.

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