दरअसल, विज्ञापन में कमलनाथ के सांसद से मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को बताया गया है लेकिन इसमें दो ऐसी बातें भी लिखी गई हैं जिसे पढ़ने के बाद यही लग रहा है कि कहीं ये विज्ञापन कमलनाथ के रुतबे को कम आंकने के लिए तो नहीं छपवाए गए हैं?
दरअसल, कांग्रेस द्वारा जारी किए गए इस विज्ञापन में कमलनाथ की 1996 में हुई हार का जिक्र तो है ही, वहीं ये भी बताया गया है कि कमलनाथ अगर मुख्यमंत्री बने हैं तो पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के समर्थन की वजह से.
क्या लिखा है विज्ञापन में?
कांग्रेस के विज्ञापन में लिखा है कि 'कमलनाथ एक धैर्यशील नेता हैं. प्रशासनिक और प्रबंधन क्षमता के साथ ही विरोधियों को साधने की क्षमता ने उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा दिया है.' विज्ञापन में बताया गया है कि 'कमलनाथ 9 बार लोकसभा सांसद भी रहे हैं.'
हालांकि विज्ञापन में कमलनाथ की तारीफ के बीच में जहां जाकर नज़र अटक जाती है और जिसे लेकर विवाद खड़ा हो रहा है वो है कमलनाथ की हार का ज़िक्र. विज्ञापन में आगे लिखा है कि 'छिंदवाड़ा से कमलनाथ को 1996 में हार का भी सामना करना पड़ा था. उस समय उन्हें सुंदरलाल पटवा ने चुनाव मैदान में पटखनी दी थी.'
अब सवाल ये है कि अपने सबसे बड़े नेता के लिए पटखनी जैसे शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस कैसे कर सकती है ?
वहीं विज्ञापन के सबसे अंत में लिखा है कि '1993 में भी कमल नाथ के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी. बताया जाता है कि तब अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया. इस तरह कमल नाथ उस समय सीएम बनने से चूक गए थे. अब 25 साल बाद दिग्विजय के समर्थन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है.' इस लाइन से ऐसा लग रहा है जैसे कमलनाथ अपनी क्षमता की वजह से नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह की वजह से सीएम बने हैं.
बीजेपी ने ली चुटकी
कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए जन्मदिन पर छपवाए गए विज्ञापन पर बीजेपी ने चुटकी ली है. प्रदेश बीजेपी उपध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि 'मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के जन्मदिन के अवसर पर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जो विज्ञापन जारी किया है उसमें स्पष्ट कर दिया है कि दिग्विजय सिंह जी के छोटे भाई विधायक लक्ष्मण सिंह ने जो कहा था की मुख्यमंत्री कमलनाथ जी मज़बूत नहीं मजबूर मुख्यमंत्री हैं . उस पर अपनी मोहर लगा दी है.'
उन्होंने कहा कि इस विज्ञापन में कांग्रेस नेताओं ने कमलनाथ जी को बता दिया है की आप छिंदवाडा मॉडल की वजह से मुख्यमंत्री नहीं बल्कि राजा जी की वजह से मुख्यमंत्री हैं. राजा जी के बिना इस सरकार का कोई आधार नहीं है. जब-जब, जैसा-जैसा राजा जी (दिग्विजय) ने चाहा वैसा ही हुआ है और आगे भी होता रहेगा. जन्मदिन वाले दिन कमलनाथ जी ने अपने ही नेतृत्व वाली कांग्रेस से ऐसे उपहार की कल्पना नही की होगी.'