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यूरिया संकट पर कमलनाथ ने मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार, शिवराज बोले- मत छिपाओ नाकामी

मध्य प्रदेश में यूरिया संकट पर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सोशल मीडिया तक पहुंच गया है. मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में यूरिया संकट के लिए केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और आरोप लगाया कि जितना यूरिया चाहिए केंद्र सरकार से नहीं मिल रहा है.

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शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

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  • यूरिया संकट पर सीएम कमलनाथ का केंद्र पर हमला
  • बोले- जितना यूरिया चाहिए केंद्र से नहीं मिल रहा है
  • शिवराज का पलटवार, बोले- ठीकरा और कहीं न फोड़ें

मध्य प्रदेश में यूरिया संकट पर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सोशल मीडिया तक पहुंच गया है. मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में यूरिया संकट के लिए केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और आरोप लगाया कि जितना यूरिया चाहिए केंद्र सरकार से नहीं मिल रहा है.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा, रबी मौसम के लिए यूरिया की मांग को देखते हुए हमने केंद्र सरकार से 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग की थी परंतु केंद्र सरकार द्वारा यूरिया के कोटे में कमी कर दी गई.

सीएम कमलनाथ ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा, एक साथ मांग आने तथा केंद्र  सरकार द्वारा हमारे यूरिया के कोटे में कमी कर देने के कारण वितरण में जरूर कुछ स्थानों पर किसान भाइयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है लेकिन....

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इसके बाद एक और ट्वीट करते हुए सीएम ने लिखा,  केंद्र सरकार से प्रदेश का यूरिया का कोटा बढ़ाने को लेकर निरंतर हमारे प्रयास जारी है. भाजपा यदि सच्ची किसान हितैषी है तो उसे इस मुद्दे पर राजनीति करने की बजाय अपनी केंद्र सरकार पर दबाव डालकर प्रदेश की मांग अनुसार यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करवाना चाहिए.'

शिवराज का पलटवार

मुख्यमंत्री कमलनाथ के केंद्र सरकार पर आरोप का जवाब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने दिया. उन्होंने कहा, 'कमलनाथ जी, आपकी सरकार प्रदेश में यूरिया की व्यवस्था करने में बुरी तरह फेल हुई है. कृपया अपनी असफलता का ठीकरा और कहीं न फोड़ें...

वहीं, एक और ट्वीट करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, किसानों को पहले ही सूचित कर दिया जाता था कि तीन माह पहले ही अपना खाद उठा कर घर ले जाएं. चूंकि किसान तीन माह पहले ही खाद उठा लेता था, तो उसका ब्याज भी सरकार भरती थी. इसके कारण मध्य प्रदेश में यूरिया का संकट कभी नहीं आया और किसानों को समय पर पर्याप्त यूरिया मिला. आपकी सरकार सोती रही, किसी ने कोई प्लानिंग नहीं की. खाद आया भी तो कुप्रबंधन के कारण ढंग से किसानों को आपूर्ति नहीं हो पाई, खाद की कालाबाजारी हुई. व्यवस्था ठीक कीजिए, केवल दूसरे के सर पर ठीकरा मत फोड़िए.

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बता दें कि रबी की फसल की बुवाई के लिए किसान इन दिनों घंटो लाइन में लग यूरिया ले रहे हैं. प्रदेश में यूरिया संकट इस कदर है कि विदिशा में ट्रक से किसानों ने यूरिया लूट लिया तो वहीं मंगलवार को अशोक नगर में यूरिया के लिए किसानों के बीच आपस मे ही लड़ाई हो गई. 

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