मध्य प्रदेश उपचुनाव के करीब 53 दिन बाद शिवराज सरकार का तीसरा कैबिनेट विस्तार हो गया है. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट को मंत्री की शपथ दिलाई. दोनों नेता राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक माने जाते है. शपथ ग्रहण कार्यक्रम सादगी पूर्ण ढंग से राजभवन में आयोजित किया गया.
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल रविवार भोपाल पहुंची और राजभवन में शिवराज सरकार के कैबिनेट विस्तार का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ. गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट ने मंत्री पद के रूप में शपथ ग्रहण किया. माना जा रहा है कि दोनों को पूर्व के विभागों की ही जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. गोविंद सिंह राजपूत राजस्व और परिवहन, तुलसी सिलावट जल संसाधन विभाग का जिम्मा मिल सकता है, क्योंकि पहले यही विभाग इनके पास थे.
राज्यपाल मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी. माना जा रहा है कि दो बजे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ का समय संभावित बताया गया. इसके बाद राज्यपाल वाराणसी के लिए रवाना हो जाएंगी.
पिछले साल मार्च में सरकार गठन के बाद सबसे पहले 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी. फिर 2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने शपथ ली. इस तरह से राज्य में कुल 33 मंत्री हो गए थे. एमपी कैबिनेट में मुख्यमंत्रियों समेत मंत्रियों की संख्या अधिकतर 34 हो सकती है. मौजूदा समय में शिवराज कैबिनेट में छह मंत्री पद के जगह खाली थे, लेकिन दो ही मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है.
दरअसल, सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए एक दर्जन से ज्यादा नेताओं को शिवराज सरकार की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था, जिनमें से दो मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने छह महीने का कार्यकाल पूरा होने के चलते उपचुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया था. इसके अलावा उपचुनाव में तीन मंत्रियों की हार हुई थी, जिसके चलते महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं इमरती देवी, कृषि राज्यमंत्री रहे गिर्राज डंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना को इस्तीफा देना पड़ा था. इन तीनों मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया है.
तुलसीराम सिलावट
सांवेर से बीजेपी विधायक तुलसी सिलावट ने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा था और कांग्रेस से पारी की शुरुआत की थी. 1980-81 में इंदौर के देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. 1982 में इंदौर में पार्षद बने. 1985 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और उन्हें संसदीय सचिव की अहम जिम्मेदारी दी गई. 1995 में नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने. इसके बाद 1998-2003 तक ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली. इस दौरान उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया. 2007 में उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें फिर से टिकिट दिया और वे जीते. इसके बाद 2008 के आम चुनाव में जीत हासिल हुई.
सिलावट 2018 में चौथी बार विधायक बने और कमलनाथ सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उन्हें स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी दी गई. 10 मार्च 2020 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. शिवराज सरकार में उन्हें जल संसाधन और मछुआ कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर वे 5वीं बार विधायक बने और एक बार फिर से उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है.
गोविंद सिंह राजपूत
सुरखी से बीजेपी विधायक गोविंद सिंह राजपूत ने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया और प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. 2002 से 2020 तक प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और उपाध्यक्ष के पद पर रहे. उन्होंने 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता. उन्हें कांग्रेस विधायक दल के सचेतक की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी थी. 2008 में दूसरी बार विधायक बने लेकिन 2013 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2018 में भाजपा उम्मीदवार सुधीर यादव को हरा कर राजपूत एक बार फिर विधायक बन गए. उन्हें कमलनाथ सरकार में परिवहन और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी मिली.
गोविंद सिंह राजपूत 10 मार्च 2020 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. शिवराज सरकार में उन्हें खाद्य और सहकारिता मंत्री बनाया गया. राजपूत उन पांच मंत्रियों में शामिल रहे, जिन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट का सदस्य बनाया था. मंत्रिमंडल के विस्तार में राजपूत को फिर से परिवहन और राजस्व विभाग दिया गया. छह माह की अवधि समाप्त होने के कारण उन्हें मंत्री पद से 20 अक्टूबर को इस्तीफा देना पड़ा था. राजपूत ने उपचुनाव में कांग्रेस की पारुल साहू को हराया और चौथी बार विधायक बने.
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