मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी सोमवार अपनी मंत्रियों के साथ मंथन बैठक की थी. यह बैठक किसी मंत्रालय में नहीं किया बल्कि सिहोर के उसी रिजॉर्ट हुई, जहां 15 महीने पहले बीजेपी ने अपने विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए रखा गया था. वहीं, पिछले 15 दिनों से दिल्ली से लेकर भोपाल तक शिवराज विरोधी गुट के माने जाने वाली बीजेपी नेताओं के बीच भी बैठकें हो रही हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या वजह है कि जिसके चलते मीटिंग हो रही है.
कोरोना संकट के बादल छटते ही एमपी नेताओं के बीच मिलने-जुलने और बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. सूबे के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा और कैलाश विजयवर्गीय मुलाकात की. इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से जाकर मिले, जिसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सुहास भगत ने दिल्ली आकर प्रहलाद पटेल से भेंट की. वहीं, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योरादित्य सिंधिया भी भोपाल पहुंचकर तमाम नेताओं के साथ बैठक की. इसमें कई ऐसे नेता हैं, जिन्हें शिवराज विरोधी गुट का माना जाता है.
दरअसल, पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शिवराज सरकार की कैबिनेट मीटिंग के बीच में ही नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं में बजट से ज्यादा छूट दिए जाने के प्रस्ताव का विरोध कर दिया था. शिवराज सिंह चौहान के इस कार्यकाल में कैबिनेट मीटिंग के दौरान इस तरह का विवाद पहली बार खड़ा हुआ, जिसके चलते दोनों नेताओं के सियासी वर्चस्व की जंग सार्वजानिक रूप से सामने आ गई.
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मार्च 2020 में मध्य प्रदेश में जो सियासी बदलाव हुआ, जिसमें कमलनाथ की अगुवाई कांग्रेस सरकार से बीजेपी ने सत्ता छीन लिया. सत्ता परिवर्तन में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री का ताज शिवराज के सिर सजा था. ऐसे में नरोत्तम मिश्रा को एमपी में बीजेपी के भविष्य के नेता के तौर पर देखा जाता है, जिसके लिए वो अपनी लॉबी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में उन्होंने पिछले दिनों पार्टी के कई नेताओं से मुलाकात किया. उन्होंने प्रभात झा और कैलाश विजयवर्गीय से मिले. इन 3 नेताओं के साथ शिवराज के रिश्ते जगजाहिर हैं.
हालांकि, प्रभात झा से लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने इसे सामान्य मुलाकात बताया था, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर तमाम तरह के सियासी कयास लगाए जाने लगे थे. प्रभात झा ने कहा था कि नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर-चंबल संभाग के हैं और वे अक्सर उनसे मिलते रहते हैं. इससे पहले 31 मई को कैलाश विजयवर्गीय के साथ भी नरोत्तम मिश्रा की बंद कमरे में करीब एक घंटे बाते हुई थी, तब भी विजयवर्गीय ने भी इसे सामान्य मुलाकात ही बताया था.
बैठक को लेकर चर्चाओं का दौर इसलिए गर्म है, क्योंकि विजयवर्गीय बीजेपी के कई अन्य नेताओं से भी मिल रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से भी मुलाकात की थी. इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और प्रदेश के संगठन मंत्री सुहास भगत ने दिल्ली आकर प्रहलाद पटेल से मिले थे. यह मुलाकात भी करीब एक घंटे से ज्यादा की रही, लेकिन इसे भी सामान्य बैठक बताई गई.
दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ही पार्टियों में सियासी गुटबाजी से जूझ रही है. कमलनाथ की नेतृत्व वाली सरकार इसी सियासी वर्चस्व की जंग में बलि चढ़ गई है. वहीं, बीजेपी में भी सियासी घमासान कम नहीं है. बंगाल चुनाव खत्म होने के बाद से कैलाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश में डेरा जमा दिया है. विजयवर्गीय और शिवराज के रिश्ते जगजाहिर हैं और अब डिप्टीसीएम नरोत्तम मिश्र भी एक नहीं चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं. ऐसे ही सिंधिया के बीजेपी में एंट्री के बाद प्रभात झा भी पार्टी में अलग-थलग पड़े हैं, जिनके नरोत्तम मिश्रा के साथ बेहतर तालमेल बना हुआ है.
वहीं, दमोह उपचुनाव बड़े मार्जिन से हारने के बाद शिवराज सिंह चौहान पर दबाव बढ़ गया है. सरकार से संगठन तक तमाम जतन के बाद भी लगाने के बाद भी बीजेपी यह चुनाव नहीं जीत सकी. कांग्रेस के जीते हुए विधायक राहुल सिंह को शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी में शामिल कराया था. ऐसे में यह सीट शिवराज सिंह चौहान की साख दांव पर थी, लेकिन बीजेपी की हार को वो नहीं बचा सके.
दमोह से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल सांसद हैं और उपचुनाव हार के बाद से ही वहां पर उठापटक चल रही है. माना जाता है कि पटेल की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री के बीच हुई बैठक दमोह की हार और वहां के सियासी हालात को लेकर की गई है. वहीं, शिवराज विरोधी तीनों नेताओं के बीच अलग-अलग हुईं बंद कमरे में हो रही बैठकों ने अलग ही सियासी कयासबाजी को हवा दे दिया है.