कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार की सत्ता से विदाई के बाद बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मध्य प्रदेश की कांग्रेस को अल्पमत में बताते हुए लगातार गिराने की धमकी दे रही थी. लेकिन कमलनाथ ने ही बीजेपी पर ही 'सर्जिकल स्ट्राइक' कर दी. बीजेपी के दो विधायकों को तोड़कर कमलनाथ ने कांग्रेस में मिला लिया है. इस तरह से कांग्रेस ने बीजेपी से 2013 का हिसाब बराबर कर लिया है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी के दो विधायक पाला बदलकर मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ खड़े हो गए हैं. बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी और विधायक शरद कोल ने बुधवार को वोटिंग के दौरान अपनी पार्टी से बगावत कर कांग्रेस के पक्ष में वोट करके अपनी मंशा जाहिर कर दी. कमलनाथ ने जिस नाटकीय अंदाज में बीजेपी को झटका दिया है, इससे भोपाल से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई.
2013 में भाजपा ने दिया था कांग्रेस को झटका
मध्य प्रदेश की विधानसभा सदन के भीतर जिस तरह से बीजेपी के दो विधायक टूटकर कमलनाथ खेमे के साथ आकर खड़े हो गए हैं, उसने 2013 की याद को ताजा कर दिया है. फर्क इतना है कि 2013 में बीजेपी ने कांग्रेस को 'धीरे से जोर का झटका' दिया था. जबकि इस बार कांग्रेस ने बीजेपी को उससे भी तगड़ा झटका दे दिया है.
2013 में कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष में थी और शिवराज सरकार के विरोध में विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आरंभ होने के ठीक पहले कांग्रेस विधायक दल के उपनेता चौधरी राकेश सिंह ने अपने ही दल को कठघरे में खड़ा करते हुए प्रस्ताव की हवा निकाल दी थी. इतना ही नहीं राकेश सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. हालांकि मौजूदा समय में राकेश सिंह कांग्रेस में 'घर वापसी' कर चुके हैं.
6 साल बाद कमलनाथ ने ऐसे लिया बदला
बीजेपी के द्वारा दिए गए इस दर्द का बदला कांग्रेस ने 6 साल के बाद लिया है. मध्य प्रदेश विधानसभा में दंड संहिता संशोधन विधेयक पर मत विभाजन के दौरान बीजेपी के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को दे दिया. इन दोनों बीजेपी विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने में कमलनाथ के साथ-साथ भोपाल मध्य के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
बगावत करने वाले विधायकों की घर वापसी
बीजेपी से बगावत करने वाले दोनों विधायक पहले कांग्रेसी नेता रहे हैं. नारायण त्रिपाठी ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भी दलबदल किया था. वे मैहर से विधायक हैं. पिछली बार वे कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद बीजेपी में शामिल हुए. इस बार बीजेपी से चुनाव जीत कर कांग्रेस में चले गए. दूसरे शरद कौल ब्यौहारी से विधायक हैं.
एक समय में दोनों कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी के साथ हो गए थे. बुधवार को दोनों ने वोट के बाद एक-सी बात कही, 'बीजेपी में दम घुट रहा था. क्षेत्र के विकास की वजह से बीजेपी में गए थे, धोखा मिला और विकास नहीं हुआ. थोथे वादे और झूठी घोषणाएं भर बीजेपी की सरकार में होती रहीं. अब घर लौट आए हैं.' कोल ने तो कमलनाथ को स्वयं का आइकॉन भी बताया. मुख्यमंत्री फ्लोर क्रॉस करने वाले दोनों विधायकों को साथ लेकर अपने कक्ष में चले गए.