लोकसभा चुनाव के बीच मध्य प्रदेश की नई सरकार प्रदेश के राजस्व को बढ़ाने की कवायद में जुट गई है और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने ज्यादा से ज्यादा राजस्व कमाने का अनोखा तरीका निकाला है. राज्य सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव कर देशी मदिरा दुकानों पर विदेशी शराब बेचने की योजना को हरी झंडी दे दी है, लेकिन आचार संहिता के चलते इसे मंजूरी के लिए निर्वाचन आयोग के पास भेजा गया है.
इसके साथ ही शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस फीस में भी 20 फीसदी की बढ़ोतरी का जो प्रस्ताव कैबिनेट ने हाल ही में पास किया था उसे भी निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद ही लागू किया जाएगा. इसका मकसद आबकारी शुल्क के जरिए राजस्व की कमाई में बढ़ोतरी है, लेकिन आचार संहिता के चलते सरकार इसे सीधे लागू ना कर निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बाद ही लागू कर सकती है.
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में देशी-विदेशी मदिरा की कुल मिलाकर 3,200 दुकानें हैं, इनमें से 2,200 के करीब देशी मदिरा दुकानें हैं तो वहीं 1,000 के करीब विदेशी मदिरा दुकानें हैं. जाहिर है कि राज्य में देशी मदिरा की दुकानें ज्यादा हैं और नई दुकान नहीं खोलते हुए देशी मदिरा दुकान से विदेशी मदिरा बेचने पर सरकार को राजस्व में करीब 1,450 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिल सकेगा.
शिवराज ने बताया 'अनर्थ'
कांग्रेस सरकार की नई आबकारी नीति का पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने विरोध किया है. शिवराज ने कहा, 'लोकसभा चुनाव के बीच में कमलनाथ सरकार देशी शराब की दुकान पर विदेशी शराब बेचने की अनुमति देने का ऐलान करती है और चुनाव आयोग से नई आबकारी नीति लागू करने हेतु अनुमोदन मांगती है. मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए सरकारी आमदनी बढ़ाने हेतु ऐसे प्रस्ताव पहले भी आए थे, लेकिन मेरे लिए आमदनी से ज्यादा प्रदेश के युवा और उनका भविष्य जरूरी है, इसीलिए मैंने कभी ऐसे किसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया.'
उन्होंने कहा, 'ये एक अनर्थकारी कदम है और प्रदेश के भविष्य को नशे की गर्त में धकेलने की एक साजिश है. मेरा सीएम से आग्रह है कि वो ऐसे कदम न उठाएं और यह प्रस्ताव निरस्त करें. चुनाव आयोग से भी अपील करता हूं कि इस नीति को अनुमोदित न किया जाए.'