मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के एक फैसले ने पार्टी की किरकिरी करा दी है. दरअसल, बीते 2 सितंबर को कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रकाश शेखर ने एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक पार्टी टिकट के दावेदारों की सोशल मीडिया पर सक्रियता अनिवार्य थी.
इसके अलावा दावेदारों के फेसबुक पेज पर 15000 लाइक्स, ट्विटर पर 5000 फॉलोवर होने जरूरी थे. वहीं बूथ स्तर पर लोगों के व्हाट्सएप ग्रुप बने होना अनिवार्य किया गया था. लेकिन इस फैसले का जमकर विरोध हुआ और महज 6 दिन के बाद ही कांग्रेस को आदेश पर यू-टर्न लेना पड़ा. यानी टिकट के दावेदारों पर से सोशल मीडिया वाली शर्त हटा ली गई है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने बताया, ''पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा था कि ये फैसला व्यवहारिक नहीं है और इसमें कई पेचीदगियां हैं. ऐसे में उनकी मांग पर फैसले को वापस लिया गया है."
दरअसल, टिकट के लिए सोशल मीडिया की अनिवार्यता के चलते पार्टी के कई बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम टिकट की दौड़ से बाहर हो जाते. इससे ग्रामीण और आदिवासी सीटों का गणित बिगड़ जाता और यही वजह रही कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद आदेश वापस लिया गया.
वहीं बीजेपी के नेता इस मुद्दे पर कांग्रेस की चुटकी ले रहे हैं. सूबे के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस जमीनी हकीकत वाली पार्टी नहीं बल्कि हवा हवाई पार्टी है. पार्टी पर सामंतों का राज है. उन्होंने आगे कहा कि जो हाई फाई बातें करते हैं उन्हें ना जमीन अच्छी लगती है ना जमीनी कार्यकर्ता अच्छे लगते हैं.