गोशाला के जरिये सॉफ्ट हिंदुत्व को छूते हुए चुनावी वैतरणी पार करने वाली कमलनाथ सरकार की गोशालाओं का इंतजार प्रदेश की सड़कों पर बदहाल घूमने वाली गायें भी कर रही हैं. प्रदेश की तमाम पंचायतों में गोशाला खोलने का कमलनाथ सरकार का वादा अधूरा है. हालांकि उन्होंने दावा किया है कि बारिश के बाद और गोशालाओं का निर्माण कराया जाएगा.
हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि 600 गाय की क्षमता वाली राजगढ़ जिले की गोशाला 6 हजार गायों से भर चुकी है. इसके चलते बीते एक सप्ताह में 40 से ज्यादा गायें असमय मौत का शिकार हो चुकी हैं.
दरअसल 15 साल बाद सत्ता में आई कमलनाथ सरकार ने घोषणा की थी कि प्रदेश की पंचायतों में गोशाला बनाई जाएगी. गोशाला न बनने के कारण प्रदेशभर की सड़कों और हाइवे पर आवारा मवेशियों के झुंड आ डटे हैं. सड़कों पर बैठे आवारा मवेशी सरकार को मुंह चिढ़ा रहे हैं.
आज तक ने भोपाल की सड़कों और भोपाल-रायसेन हाइवे पर जब रियलिटी चेक किया तो पाया कि चुनाव के दौरान किए गए वादे कैसे हवा हो रहे हैं. हमने पाया कि भोपाल के अयोध्या बाइपास पर दिन भर गायों का झुंड डटा रहता है, जिससे यहां आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं भोपाल की अंदरूनी सड़क से निकल कर जब आज तक की टीम हाइवे पर पहुंची तो पाया कि यहां स्थिति और खतरनाक है.
यहां सड़क पर तेज रफ्तार वाहनों के सामने अचानक से गाय आ जाती है. जब हम यहां तस्वीरें ले रहे थे, तभी अचानक से एक कार गाय से टकराते-टकराते बची. यही नहीं, हाइवे से गुजरने वाले लोगों के सामने समस्या यह भी है कि हॉर्न बजाने पर भी यह गायें सामने से नहीं हटतीं. नतीजतन कई बार तो वाहन चालकों को वाहन से उतरकर खुद गायों को हटाना पड़ता है. सड़कों से गुजरने वाले लोगों की मानें तो बरसात के इन दिनों में वह खुद की जान हथेली पर लेकर निकलते हैं.
सड़कों पर खराब हैं हालात
सड़कों पर तो हालात खराब हैं ही, इन गायों को पकड़ कर अगर गोशाला भी भेजा जा रहा है तो वहां भी स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं. मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की श्रीकृष्ण गोशाला में एक हफ्ते में 40 गायों की मौत हो चुकी है. इस गोशाला में वैसे तो क्षमता 600 गायों की है, लेकिन यहां हजारों गायों को ठूंस कर रखा गया है.
इस गोशाला में चारों तरफ गंदगी और कीचड़ से घिरी गायें तिल-तिल कर मर रही हैं. खुद स्थानीय प्रशासन मान रहा है कि यहां क्षमता से अधिक गायों को रखने की वजह से हालात खराब हुए हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने हिंदुत्व के एजेंडे पर चलते हुए गो माता को अपने मेनिफेस्टो में काफी तरजीह दी थी.
अपने वचन पत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता मिली तो गायों के लिए हजारों गोशाला बनाई जाएंगी. सरकार बनने के 8 महीने बीत जाने के बावजूद कमलनाथ सरकार का यह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ. सरकार ने सड़कों से बैठी गायों को हटाने के लिए 16 जनवरी को मुहिम का पहला फेस शुरू किया था. 7 महीने होने को आए, सरकार की मुहिम दम तोड़ चुकी है और सड़कों पर गायों के झुंड की वजह से जनता त्रस्त है.
प्रदेश में कुल 1296 पंजीकृत गोशालाएं
आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश में कुल 1296 पंजिकृत गोशालाएं हैं. इनमें से 614 में 1 लाख 53 हजार 883 गायों को रखा गया है. इनकी आमदनी का जरिया गोबर और गोमूत्र है. क्रियाशील गोशालाएं ही अनुदान की पात्र होती हैं.
6 लाख से अधिक गायें सड़कों परलगभग 6 लाख से अधिक गायें सड़कों पर खुली घूम रही हैं, जो सरकार और जनता की परेशानी की मूल जड़ हैं.
मुख्यमंत्री कमलनाथ भी चिंतित
प्रदेश की सड़कों पर घूमती गायों की समस्या से प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद चिंतित हैं. बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से एक बयान जारी हुआ, जिसमें सीएम कमलनाथ ने चिंता जताते हुए कहा है कि हमने अपने वादे के मुताबिक गोवंश की रक्षा को लेकर पहले 1000 गोशालाएं बनाने का निर्णय लिया और अब बारिश के इस मौसम में गोवंश की सुरक्षा को लेकर मैं चिंतित हूं.
सीएमओ की ओर से कहा गया है कि वर्षों से देखता आया हूं कि बारिश के इस मौसम में खेतों में पानी होने से, मिट्टी गीली होने से गोवंश बड़ी संख्या में सड़कों पर आकर बैठता है, जिसके कारण कई गोमाताएं वाहन दुर्घटना का शिकार भी होती हैं. कई घायल हो जाती हैं, कइयों की मृत्यु तक हो जाती है और इन दुर्घटनाओं में जान माल की हानि भी होती है.
विस्तृत कार्ययोजना बनाने का सीएम ने दिया निर्देश
कमलनाथ की ओर से कहा गया है कि मैंने अधिकारियों से गोवंश की सुरक्षा की दृष्टि से और इससे होने वाली वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिये एक विस्तृत कार्ययोजना बनाने के लिए कहा है. जितने भी प्रदेश के प्रमुख मार्ग हैं, जहां पर वाहनों का परिचालन तेज गति से होता है, उन पर बारिश के इस मौसम में सुरक्षा की दृष्टि से गोवंश का सड़कों पर बैठना रोका जा सके, दुर्घटनाओं को टाला जा सके और गोवंश की सुरक्षा भी हो सके.
उन्होंने कहा है कि भले इस कार्ययोजना को हम इस बरसात के मौसम में अमलीजामा नहीं पहना पाए, लेकिन हमारा यह लक्ष्य रहे कि हम भविष्य में इसे मूर्त रूप जरूर दे सकें. मेरा यह भी मानना है कि यह कार्य काफी मुश्किल और चुनौती भरा है. हम यदि इसे लागू कर पाए, तो गोवंश की सुरक्षा की दृष्टि से यह एक बड़ा कदम होगा. लावारिस होने पर उन्हें गोशाला में भेजने से लेकर गांव में ही ऐसे पक्के स्थान चिन्हित किए जाएं, जहां गोमाता सुरक्षित बैठ सकें, जिससे सड़क मार्ग पर आकर वह वाहन दुर्घटनाओं का शिकार होने से बच सकें.
बीजेपी ने साधा निशाना
गायों के नाम पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जमकर वोट मांगा था. ऐसे में सत्ता के 8 महीने पूरे हो जाने के बाद भी जब गायों की स्थिति नहीं सुधरी तो प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार पर जनता और गोमाता, दोनों के साथ छलावा करने का आरोप लगा दिया है.