मध्य प्रदेश के डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला के न्यायपालिका पर दिए गए बयान पर अब वकील लामबंद हो गए हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बयान जारी कर पूछा है कि क्या डीजीपी की तरफ से दिया गया बयान मध्य प्रदेश पुलिस का अधिकृत बयान है?
मध्य प्रदेश बार एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट जितेंद्र तिवारी से बात करने पर बताया कि डीजीपी का बयान कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है. इसके लिए बार एसोसिएशन कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई पर विचार कर रहा है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बयान जारी कर कहा है कि मध्य प्रदेश पुलिस के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति का डीजीपी की हैसियत से दिया गया बयान एमपी पुलिस द्वारा सुप्रीम कोर्ट को अपमानित किया जाना माना जाएगा.'
बार एसोसिएशन ने कहा कि ऐसे बयान देने वाले डीजीपी का चुनाव के वक्त पद पर बने रहना चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करेगा. इसलिए चुनाव आयोग से अनुरोध है कि ऋषि कुमार शुक्ला को डीजीपी के पद पर पदस्थ ना रखा जाए. इसके अलावा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने डीजीपी से दो दिनों में बयान पर जवाब मांगा है और कहा है कि उसके बाद वकील इसका विरोध करेंगे.
बता दें कि हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा था कि सोशल मीडिया आजकल कानून की प्रक्रिया को और कठिन बना दे रहा है. जो जज बैठते हैं उन्हें बिना किसी भेदभाव के और कानून की मंशा के पीछे ही काम करना चाहिए, लेकिन अब ऐसा हो नहीं रहा है. ये भी बहुत बड़ी कठनाई की बात है कि जज कानून का इंटरप्रिटेशन अपने हिसाब से करने लगे हैं. उनकी आजकल की कानूनी प्रक्रिया में रिफ्लेक्ट हो रहे हैं.