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मध्य प्रदेश: संकट में कमलनाथ सरकार, सिंधिया ने दिखाए बागी तेवर

मध्य प्रदेश में सियासी हलचल के बीच बीजेपी ने भी अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है. दोनों नेताओं के बीच राज्य के ताजा घटनाक्रम पर बातचीत हुई है.

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कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो-PTI)
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो-PTI)

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  • संकट में MP की कमलनाथ सरकार
  • 16 कांग्रेसी विधायक पहुंचे बेंगलुरू
  • सिंधिया के रुख पर टिकी है निगाह

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सियासत में कलह तब से शुरू है, जब से साल 2018 में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच सीट का अंतर भले ही कम रहा हो, लेकिन असल चुनौती कमलनाथ सरकार को अपनी ही पार्टी के नेताओं से मिलती रही. मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की सबसे बड़ी चिंता बीजेपी ने कम बढ़ाई, पार्टी के नेताओं ने मुश्किल बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया तो कभी दिग्विजय सिंह तीखे तेवर दिखाते रहे. सिंधिया ने एक बार फिर से बागी तेवर दिखाए हैं.

कमलनाथ के लिए बने चुनौती

घोषणा पत्र को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस में अपनी ही सरकार के खिलाफ ज्योतिरादित्य सिंधिया खड़े हो गए. उन्होंने कहा था कि अगर कमलनाथ सरकार वचन पत्र पूरा नहीं करेगी तो मैं भी लोगों के साथ सड़क पर उतर सकता हूं. इसके जवाब में सीएम कमलनाथ ने कहा था कि अगर वे चाहते हैं तो उतर जाएं. इसके बाद सियासी ड्रामा और बढ़ गया था.

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एक बार फिर मध्य प्रदेश सरकार संकट में नजर आ रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक करीब 20 कांग्रेसी विधायक बेंगलुरु पहुंच गए हैं. बताया जा रहा है जो विधायक बेंगलुरु पहुंचे हैं, उनमें 6 मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं. इस बीच मध्य प्रदेश के ताजा घटनाक्रम के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया चार्टर प्लेन से दिल्ली अपने आवास पहुंच गए हैं.

यह भी पढ़ें: मामूली बहुमत पर टिकी है कमलनाथ सरकार, राज्य में ऐसे हैं सियासी समीकरण

दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश बीजेपी के 6 विधायक भी बेंगलुरु पहुंचे है. अब कांग्रेस नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने में जुट गई है, और उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अगर सिंधिया सही समय पर मानते नहीं हैं तो कमलनाथ सरकार का संकट में आना तय है. सोनिया गांधी से मिलने कमलनाथ दिल्ली पहुंचे थे लेकिन सियासी संकट बढ़ता देख फिर वापस भोपाल लौट गए हैं.

यूं ही नहीं नाराज हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया!

ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ सरकार पर कई बार निशाना साध चुके हैं. जब भी वे अपने क्षेत्रों में कोई काम कराने के लिए प्रयासरत होते हैं तो यह कहा जाता है कि अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसे लेकर कई बार ज्योतिरादित्य नाराजगी जता चुके हैं. अब ज्योतिरादित्य की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ती नजर आ रही है.

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भोपाल में कांग्रेस की आपात बैठक

आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक इस घटनाक्रम के मद्देनजर भोपाल में सीएम कमलनाथ ने आपात बैठक बुलाई है. बैठक में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और मंत्री मौजूद हैं. कमलनाथ को समर्थन करने वाले कई विधायक भी इस बैठक में पहुंच रहे हैं. कमलनाथ के नजदीकी सूत्रों ने बताया है कि मध्य प्रदेश सरकार को कोई खतरा नहीं है. ऐसा माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मान सकते हैं.

सरकार गठन से पहले ही चल रही तकरार

दरअसल मध्य प्रदेश में कांग्रेस के तीन दिग्गज नेता हैं. पहले कांग्रेस कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह, दूसरे युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और तीसरे मुख्यमंत्री कमलनाथ. ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश में जननेता का दर्ज हासिल है. जब मध्य प्रदेश में 15 साल से ज्यादा वक्त से काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इस बार बहुमत नहीं मिला और पार्टी महज 109 सीटों पर सिमट गई, तब से लेकर अब तक बीजेपी सत्ता में आने को लेकर उतावली ही है. चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 114 सीटें मिलीं और सरकार गठन में दूसरे राजनीतिक दलों का सहयोग भी मिला.

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कमलनाथ सरकार पर संकट बीजेपी की वजह से नहीं बल्कि कांग्रेस के भीतर चल रहे सियासी घमासान की वजह से है. एक तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के लिए जोर लगा रहे थे, वहीं दूसरी ओर कमलनाथ भी कांग्रेस अलाकमान के पास अपना नंबर बढ़ा रहे थे. ज्योतिरादित्य कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी थे, तो वहीं कमलनाथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भरोसेमंद कहे जाते हैं.

कमलनाथ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संजय गांधी के भी करीबी रहे हैं. जब मध्य प्रदेश में सरकार का गठन हो रहा था तो कई बार ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया होंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी की दखल के बाद राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश की कमान कमलनाथ को सौंप दी थी.

कांग्रेस आलाकमान पर टिकी नजर

जाहिर है लोकसभा चुनाव में हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिकाएं बदलीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन वे पार्टी से बहुत संतुष्ट नजर नहीं आए. गुना से वे अपनी संसदीय सीट भी नहीं बचा पाए. फिर भी सिंधिया के समर्थक बार-बार यह जताते रहे कि वे ही मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के नंबर वन नेता हैं. ऐसे में कमलनाथ सरकार के लिए अपने विधायकों को साथ रख पाना अब भी चुनौती ही बनी हुई है. देखने वाली बात यह है कि क्या मध्य प्रदेश के बारे में कांग्रेस का आलाकमान क्या फैसला करता है.

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सक्रिय हुई बीजेपी

मध्य प्रदेश की राजनीति में बीजेपी सक्रिय हो गई है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बीच सोमवार रात बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी की है. बीजेपी भी सरकार गठन के लिए सक्रिय हो गई है. ऐसे में मध्य प्रदेश की राजनीति किस करवट बैठती है, यह कह पाना मुश्किल दिख रहा है.

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