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मध्य प्रदेश में मीसाबंदी पेंशन पर कांग्रेस-BJP में घमासान

कांग्रेस का कहना है कि मीसाबंदी पेंशन बंद होनी चाहिए, लेकिन बीजेपी इसका कड़ा विरोध कर रही है. बीजेपी ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन की भी चेतावनी दी है.

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (PTI फोटो)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (PTI फोटो)

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मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार क्या बनी, उसको मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन फिजूलखर्ची नजर आने लगी है. लिहाजा सरकार मीसाबंदी पेंशन को बंद करने पर अमादा हो गई है. कांग्रेस का कहना है कि मीसाबंदी पेंशन बंद होनी चाहिए, लेकिन बीजेपी इसका कड़ा विरोध कर रही है. बीजेपी ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन की भी चेतावनी दी है.

आपको बता दें कि इंदिरा गांधी की सरकार में इमरजेंसी के दौरान जेल गए मीसा बंदियों को मीसाबंदी सम्मान निधि के तहत पेंशन दी जाती है, इसे शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शुरू किया था. हालिया विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई है और कांग्रेस ने सरकार बनाई है. सूबे में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस बीजेपी सरकार द्वारा शुरू की गई इस पेंशन को बंद करने पर उतारू है.

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कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने मांग की कि मीसाबंदी पेंशन बंद होनी चाहिए. उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार ने अपनों को रेवड़ी बांटने के लिए मीसाबंदी पेंशन के जरिए करोड़ों की फिजूलखर्ची की. मीसाबंदी पेंशन का फायदा लेने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं के नाम भी हैं, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व मंत्री सरताज सिंह और एमपी पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष तपन भौमिक शामिल हैं.

तपन भौमिक खुद मीसाबंदी रह चुके हैं और फिलहाल लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष भी हैं. आपातकाल के दौरान ये भोपाल जेल में बंद रहे. वो इसको मीसाबंदी पेंशन नहीं, बल्कि सम्मान निधि कहते हैं. उनका कहना है कि जब भारत रत्न वापस नहीं हो सकता है, तो मीसाबंदी सम्मान निधि कैसे बंद होगी. उन्होंने कहा कि अगर मीसाबंदी पेंशन बंद हुई, तो हम कोर्ट जाएंगे.

मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानियों का दर्जा देने वाली बीजेपी ने कांग्रेस को खुलेआम चेतावनी दी है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मीसाबंदी सम्मान निधि बंद हुई, तो कांग्रेस की ईंट से ईंट बजा देंगे. बहरहाल, मीसाबंदी सम्मान निधि को तत्कालीन शिवराज सरकार ने विधेयक बना कर लागू किया था और अगर कमलनाथ सरकार को इसे बंद करना है, तो विधेयक को निरस्त करना होगा, जो कि विधानसभा में ही मुमकिन है. ऐसे में देखना ये है कि दूसरों से समर्थन लेकर बनाई गई सरकार इसमें सफल हो पाती है या नहीं.

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- मध्य प्रदेश में फिलहाल दो हजार से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपये महीने की पेंशन ले रहे हैं.

- साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसाबंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया. बाद में ये पेंशन राशि बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई. इसके बाद साल 2017 में मीसाबंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई. प्रदेश में 2000 से ज़्यादा मीसाबंदियों की पेंशन पर सालाना करीब 75 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.

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