कोरोना का कहर कुछ परिवारों पर ऐसा बरपा कि हंसता-खेलता परिवार बिखर गया. कुछ मासूम ऐसे भी हैं जिन के सिर से माता-पिता का साया उठ गया. लेकिन इन मासूमों की निगाहें हर पल अपनों को तलाशती हैं. अपनी जान से ज्यादा अपने बच्चों को प्यार देने वाले माता-पिता अब लौटकर आने वाले नहीं हैं. मध्य प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या 325 तक पहुंच गई है जिनके सिर से कोरोना काल में माता-पिता दोनों का साया उठ गया और वो अनाथ हो गए.
खिलौने से खेलती जुड़वा बहनों रूही और माही को शायद इस बात का अहसास नहीं कि कोरोना महामारी ने उन्हे जीवन भर का दर्द दे दिया है. 5 साल की जुड़वा बहनों को कोरोना ने उनके माता-पिता को हमेशा के लिए इनसे दूर कर दिया. कोरोना ने रूही और माही से पहले पिता को छीना और उसके 4 दिन बाद मां भी चल बसी. माता-पिता का साया सिर से उठने के बाद दोनों अब अपने नाना सुभाष रायकवार के यहां रहती हैं.
रह रहकर मम्मी-पापा को याद भी करती हैं लेकिन यह नहीं जानती कि वो अब कभी नहीं आएंगे. रूही को बड़ा होकर पुलिस में भर्ती होना है तो माही को डॉक्टर बनना है ताकि बड़े होकर सभी का इलाज कर सके. आजतक से बात करते हुए उनके नाना सुभाष रायकवार बताते हैं कि इनके पिता की 29 अप्रैल को कोरोना से मौत हो गई और उनकी बेटी को भी कोरोना 3 मई को निगल गया. अब इन दोनों मासूमों को वो अपने घर ले आए ताकि दोनों बच्चों की परवरिश में कमी ना आए और उन्हें माता-पिता की कमी महसूस ना हो.
सुभाष रूंधे गले से बताते हैं कि हंसते खेलते परिवार को पता नहीं किसकी नज़र लग गई. शादी के 6 साल बाद दोनों का जन्म हुआ था लेकिन दोनों को माता-पिता का प्यार सिर्फ पांच साले के लिए ही मिल पाया.
मध्यप्रदेश में अनाथ हुए 325 बच्चे
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की संख्या मध्यप्रदेश में 325 है. कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोने वाले ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी उठाने का फैसला मध्यप्रदेश सरकार ने भी लिया है और मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना शुरू की है. इस योजना के तहत ऐसे बच्चों को ...
- 5 हज़ार रुपए प्रतिमाह की पेंशन दी जाएगी.
- महीने का राशन निशुल्क दिया जाएगा.
- पहली से 12वीं तक सरकारी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई और निजी स्कूल मे पढ़ाई के लिए सरकार 10 हज़ार रुपए सालाना देगी.
- इसके अलावा कॉ़लेज की पढ़ाई का खर्चा भी सरकार उठाएगी.
सरकार ने अब तक मध्यप्रदेश में ऐसे कुल 325 बच्चों की पहचान कर ली है. जबलपुर, चंबल और उज्जैन संभाग में ऐसे कुल 123 बच्चे हैं. इंदौर, नर्मदापुरम, शहडोल और रीवा संभाग में ऐसे 102 बच्चे हैं. भोपाल, ग्वालियर और सागर संभाग में ऐसे बच्चों की संख्या 100 है. इस योजना के तहत उन बच्चों को कवर किया जाएगा जिनके माता-पिता की मौत 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच हुई हो.
बहरहाल, सरकार भले ही इस राशि के ज़रिए ऐसे बच्चों की मदद करने की योजना बना रही है. इन सब के बीच मासूमों की निगाहें हर पल अपने माता-पिता को तलाशती हैं लेकिन, जिंदगी का ककहरा सिखाने वाले उनके माता-पिता अब कहां आने वाले हैं.