राज्य में कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार की ओर से भय्यूजी महाराज समेत पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने से विवाद खड़ा हो गया है. इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक याचिका दाखिल की गई है.
राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को जारी आदेश पत्र के मुताबिक, मध्य प्रदेश के चिन्हित क्षेत्रों में, विशेषत: नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में पेड़ लगाने, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर निरंतर जागरुकता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया है. सरकार ने समिति के शामिल 5 सदस्यों नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबाजी , भय्यूजी महाराज और योगेंद्र महंतजी को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया है.
सरकार के फैसले की आलोचना भी की जा रही है. रामबहादुर शर्मा ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इंदौर बेंच में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता रामबहादुर का कहना है कि सरकार द्वारा जिन 5 संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया, वे सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे. अब सरकार ने अचानक उन्हें राजयमंत्री का दर्जा क्यों दिया और हमने राज्य मंत्री की संवैधानिकता को लेकर याचिका लगाई है और सरकार इस पर पुनर्विचार करे.
Petition filed in Indore bench of Madhya Pradesh High Court by one Ram Bahadur Sharma against five religious leaders being granted state minister status by #MadhyaPradesh Government
— ANI (@ANI) April 4, 2018
वहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने शिवराज सिंह के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा संतों का सम्मान किया है.
Indian culture has always respected saints. Ministry has not been given to cons & thugs but saints. I applaud Shivraj Singh Chouhan govt & condemn Congress for opposing it: Uma Bharti, BJP on five religious leaders being granted state minister status by #MadhyaPradesh Government pic.twitter.com/uHEgZZ3uie
— ANI (@ANI) April 4, 2018
माना जा रहा है कि सरकार ने चुनाव से पहले यह फैसला इन संतों के संभावित विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए लिया है. सरकार पर आरोप है कि इन संतों को राज्यमंत्री का दर्जा संत समाज की ओर से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी के बाद दिया गया. इन संतों ने 28 मार्च को ऐलान किया था कि वो सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला रथ यात्रा करेंगे और प्रदेश के 45 जिलों में सरकार द्वारा लगाए गए 6.5 करोड़ पौधों की गिनती कराएंगे.
इस ऐलान के बाद शिवराज सरकार हरकत में आई और उसने संत समाज से संबंधित एक समिति का गठन किया. इस समिति के साधु-संतों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ सीएम हाउस में 31 मार्च को बैठक की. इस दौरान कंप्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत समेत कई संत भोपाल पहुंचे.
बैठक के बाद ही सरकार ने कल पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने की पुष्टि की. बता दें कि इन सभी संतों की अपने-अपने इलाकों में अच्छी पकड़ तो है ही. कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में इन संतों के लाखों भक्त बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
रामदेव को मिला था मंत्री पद का ऑफर
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्य सरकार की तरफ से संत को मंत्री का दर्जा देने का ऐलान किया गया हो. 2015 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की बीजेपी सरकार ने योगगुरु बाबा रामदेव को राज्यमंत्री बनाने का ऐलान किया था. लेकिन रामदेव ने हरियाणा सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की पेशकश को ठुकरा दिया था. रामदेव ने कहा था कि वह मंत्री पद के आकांक्षी नहीं हैं और बाबा ही रहना चाहते हैं.