मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासी ड्रामे में छह विधायकों के वापस लौटने से फिलहाल कमलनाथ सरकार पर से संकट के बादल छंट गए हों. लेकिन जिस तरह से चार विधायक अब भी बीजेपी खेमे में खड़े हैं, उससे कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री कमलनाथ का बेचैन होना स्वाभाविक है. कांग्रेस भले ही आरोप लगाए कि हमारे 4 विधायकों को बीजेपी बंधक बनाए हुए हैं, लेकिन चारों विधायक कुर्सी की आस और पावर की प्यास में बगावती रुख अख्तियार किए हुए हैं?
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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश के कमलनाथ सरकार को समर्थन करने वाले करीब 10 विधायक को बंधक बनाकर गुरुग्राम के ITC होटल में रखा गया था. दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह ने मोर्चा संभाला. कांग्रेस छह विधायकों को वापस लाने में कामयाब रही, लेकिन चार विधायक अभी भी बीजेपी खेमे के साथ हैं. इनमें कांग्रेस विधायक बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, रघुराज सिंह कंसाना और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अभी भी पार्टी की पकड़ से दूर बीजेपी के साथ हैं.
1.बिसाहूलाल सिंह
अनूपपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल सिंह आदिवासी चेहरा हैं, लेकिन मंत्री बनने की ख्वाहिश ने बीजेपी खेमे के करीब लाकर खड़ा कर दिया है. 2018 में सातवीं बार विधानसभा चुनाव लड़े थे और चौथी बार विधायक बने थे. लेकिन कमलनाथ सरकार में उन्हें तवज्जो नहीं मिली. दिग्विजय सिंह गुट के माने जाने बिसाहूलाल सिंह के बेंगलुरु में होने की आशंका जताई गई है.
2.हरदीप सिंह डंग
मंदसौर जिले के सुवासरा से कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग को कांग्रेस अभी तक बीजेपी खेमे से वापस नहीं ला सकी है. डंग दूसरी बार विधायक चुने गए हैं और सिख समुदाय से आते हैं, लेकिन कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते नाराज माने जा रहे हैं. इससे पहले भी हरदीप सिंह डंग के मई, 2019 में कांग्रेस से इस्तीफे और बीजेपी में शामिल होने की खबर आई थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसका खंडन किया था. हाल ही में उन्होंने सीएए-एनआरसी पर समर्थन किया था, जिसके बाद से उनके तेवर साफ नजर आ गए थे. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का भी समर्थन किया था.
3.रघुराज कंसाना
मुरैना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रघुराज कंसाना भी कमलनाथ सरकार से नाराज चल रहे हैं. माना जा रहा है कि कंसाना भी बेंगलुरु में हैं. बता दें कि विधायक रघुराज कंसाना ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के करीबी हैं और उन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था. ऐसे में रघुराज कंसाना ने बागी रुख अख्तियार किया है.
4.सुरेंद्र सिंह शेरा
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधयाक सुरेंद्र सिंह शेरा मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज माने जा रहे हैं. सुरेंद्र सिंह शेरा साफ तौर पर कह चुके हैं कि कमलनाथ ने उन्हें मंत्री बनाने का दो बार आश्वासन दिया था, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया. मंत्री बनाए जाने के पीछे शेरा का तर्क है कि वे अपने विस क्षेत्र के लिए काफी काम करना चाहते हैं. मेरे मंत्री बनने से पॉवर बढ़ेगी, ऐसे में मेरे क्षेत्र में विकास की गति और तेज हो जाएगी.
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सुरेंद्र सिंह शेरा कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. इसी का नतीजा है कि उन्होंने सिंधिया को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाने की वकालत कर चुके हैं. शेरा ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में सिंधिया ने बहुत मेहनत की है, ऐसे में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद देना चाहिए.