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मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने पूरा किया चुनावी वादा, गौशाला निर्माण शुरू

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ ने गाय संरक्षण के लिए गौशाला निर्माण करने वाले अपने वादे को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. एमपी के देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा में जिले की प्रथम गौशाला का भूमि पूजन सोमवार को किया गया.

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (फाइल फोटो)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (फाइल फोटो)

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ ने गाय संरक्षण के लिए गौशाला निर्माण करने वाले अपने वादे को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. प्रदेश में गौशाला बनाए जाने का काम शुरू हो गया है. एमपी के देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा में जिले की प्रथम गौशाला का भूमि पूजन सोमवार को किया गया. प्रदेश के लोक निर्माण और पर्यवारण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने गौशाला के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.

बता दें कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अगले चार महीने के भीतर 1000 गौशालाएं खोलने का लक्ष्य रखा है. इसमें एक लाख निराश्रित गौवंश की देख-रेख होगी. कमलनाथ ने प्रदेश में गौशाला के लिए नीति तैयार कर ली है. पशुपालन विभाग द्वारा तैयार इस नीति के तहत कम से कम तीन हजार गायों के लिए 50 एकड़ जमीन सरकार गौशाला बनाने के लिए देगी. सरकार गोशाला के लिए ये जमीन 30 साल के लीज पर देगी.

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मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने तीन मॉडल पर गौशाला खोलने की नीति बनाई है. इनमें मनरेगा मॉडल, मंदिर मॉडल और मनी मॉडल शामिल हैं. मनी मॉडल के तहत गौशाला खोलने के लिए मुफ्त में जमीन उपलब्ध कराने का सरकार ने प्रावधान रखा है. निवेशक गौशाला बनाएंगे और गाय की रख रखाव का खर्च उठाएंगे. गायों के गोबर से गैस का उत्पादन कर कॉमर्शियल उपयोग कर सकेंगे. गौशाला में 75 फीसदी निराश्रित (आवारा) और 25 फीसदी दुधारू गाय को रखने का प्रावधान है.

ग्रामीण विकास विभाग गौशाला प्रोजेक्ट का नोडल विभाग होगा. ग्राम पंचायत, स्वसहायता समूह, राज्य गौसंवर्धन बोर्ड से संबद्ध संस्थाएं एवं जिला समिति द्वारा चयनित संस्थाएं प्रोजेक्ट गौशाला का क्रियान्वयन करेंगी. मुख्यमंत्री ने निजी संस्थाओं से भी इस परियोजना में भाग लेने का आग्रह किया है.

बता दें कि मध्य प्रदेश में 614 गौशालाएं हैं जो निजी क्षेत्र में संचालित हैं. कमलनाथ सरकार द्वारा निर्माण किए जा रहे गौशाला में शेड, ट्यूबवेल, चारागाह विकास, बायोगैस प्लांट आदि व्यवस्थाएं होंगी. फंड की व्यवस्था पंचायत, मनरेगा, एमपी-एमएलए फंड तथा अन्य कार्यक्रमों के समन्वय से होगी.

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