होली से ठीक एक दिन पहले मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट गरमा गया है. राज्य के कद्दावर और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक माने जा रहे 17 कांग्रेस विधायक चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंच गए जिसमें कमलनाथ सरकार के 6 मंत्री भी शामिल बताए जा रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम के बाद सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
बैठक-मुलाकात का दौर जारी
एक ओर जहां मध्य प्रदेश में सियासी संकट चरम पर पहुंच गया है तो दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली आ गए हैं. पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम में तेजी से बदलाव आया. पीटीआई के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना दिल्ली का दौरा बीच में ही खत्म कर भोपाल लौट गए हैं और आपात बैठक कर रहे हैं.
26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले विधायकों के बागी तेवर ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है. मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार मामूली बहुमत के आधार पर टिकी हुई है. ऐसे में सरकार के अस्तित्व पर ही अब सवाल उठने लगे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने में जुट गई है, और उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाने का ऑफर दिया जा सकता है.
क्या है विधानसभा की सूरते-हाल
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं और वर्तमान में 2 विधायकों के निधन के कारण विधानसभा में 228 विधायक ही हैं. कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. जबकि उसे 2 बीएसपी (एक पार्टी से निलंबित) और एक समाजवादी पार्टी विधायक के अलावा 4 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है. ऐसे में कमलनाथ सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है.
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास 107 विधायक हैं. 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 116 विधायकों का समर्थन जरूरी है.
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कांग्रेस खेमे में मचे हलचल को देखते हुए राज्य की बीजेपी सक्रिय हो गई है. कल मंगलवार को होली होने के बावजूद बीजेपी ने विधायक दल की बैठक बुलाई है. भोपाल में मंगलवार शाम 7 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक होने वाली है.
कम से कम 9 और विधायक चाहिए
कमलनाथ सरकार के अल्पमत होने और नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी को कम से कम 9 विधायकों की जरूरत होगी तब जाकर यह आंकड़ा 116 तक पहुंचेगा.
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उतार-चढ़ाव के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत कई कांग्रेसी नेता आरोप लगा चुके हैं कि बीजेपी उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर उनकी सरकार गिराना चाहती है.
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कमलनाथ सरकार इस समय राजनीतिक संकट को सुलझाने की कोशिशों में लगी है तो एक निर्दलीय विधायक सुरेंद्र शेरा ने अब गृह मंत्री बनाए जाने की मांग कर कमलनाथ सरकार के लिए दिक्कत बढ़ा दी है. अन्य निर्दलीय विधायक भी मंत्री बनने की चाह रखे हुए हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट अभी बना रहेगा.