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केवल कमलनाथ ही कर सकते थे मध्य प्रदेश में कमाल, तभी मिली गद्दी

गुरुवार रात को सीएम के नाम के ऐलान के साथ तमाम अटकलों पर विराम लग गया. आखिर गांधी परिवार ने कमलनाथ को ही क्यों चुना. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं जो इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक सबके प्रिय रहे हैं.

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कमलनाथ (फाइल फोटो)
कमलनाथ (फाइल फोटो)

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से 2 सीट दूर रही लेकिन सपा-बसपा और निर्दलीयों के समर्थन ने कांग्रेस की सरकार बनने का रास्ता साफ कर दिया. लेकिन मुख्यमंत्री के चुनाव में हो रही देरी ने कांग्रेस को ऐसे दोराहे पर खड़ा कर दिया जहां पर पार्टी की छवि धूमिल हो रही थी. लेकिन गुरुवार रात को सीएम के नाम के ऐलान के साथ तमाम अटकलों पर विराम लग गया. आखिर गांधी परिवार ने कमलनाथ को ही क्यों चुना. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं जो इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक सबके प्रिय रहे हैं.

संजय गांधी के खास मित्र रहे कमलनाथ ने राहुल का भी विश्वला जीत लिया. अगर ऐसा नहीं होता तो अध्यक्ष चुने जाने के सिर्फ 7 महीने बाद ही उन्होंने कमलनाथ को मध्य प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर न बेजा होता. ऐसा माना जाता है कि राहुल को यह बात समझ में आ गई थी कि मध्य प्रदेश में शिवराज को हराने का कमाल कमलनाथ ही कर सकते हैं.

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नतीजों ने बताया है कि शिवराज सिंह चौहान जैसे लोकप्रिय नेता से सत्ता छीन लेना कोई बच्चों का खेल नहीं था लेकिन कमलनाथ, कमल के फूल पर भारी पड़े.

कमलनाथ की रणनीति सीधी थी, अपना घर संभालो और शिवराज को सीधे घेरो. कमलनाथ ने शिवराज के बारे में कहा था कि शिवराज मेरे मित्र लेकिन नालायक हैं.

कमलनाथ अरबों के मालिक हैं, यूपी के कानपुर में जन्मे हैं लेकिन उनकी राजनीति का असर ही है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की एक पहचान, खुद कमलनाथ ही हैं. छिंदवाड़ा से कमलनाथ 9 बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं, सिर्फ 1996 में उनकी पत्नी के इस्तीफे के बाद उप-चुनाव में छिंदवाड़ा ने कमलनाथ को नहीं चुना था और वो बीजेपी के सुंदरलाल पटवा से हार गए थे.

कमलनाथ के पास राजनीति का करीब 5 दशकों का अनुभव है। इस दौरान उनकी राजनीति में उतार-चढ़ाव भले आया हो लेकिन नेहरू परिवार से उनका रिश्ता जस का तस बना रहा.

संजय गांधी-इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक वो सबके खास थे, खास बने रहे.

कमलनाथ ने संजय गांधी के साथ दून स्कूल में पढ़ाई की. फिर दोनों ने साथ मिलकर मारुति कार बनाने का सपना देखा.

संजय से उनकी दोस्ती कितनी गाढ़ी इसे कुछ यूं समझिए कि जब इमरजेंसी के बाद के दिनों में संजय गिरफ्तार होकर दिल्ली के तिहाड़ जेल पहुंचे तो कोर्ट रूम में हंगामा कर वो भी तिहाड़ हो आए थे.

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1980 में छिंदवाड़ा लोकसभा से जब पहली बार कमलनाथ को कांग्रेस का टिकट मिला तो इंदिरा गांधी उनका चुनाव प्रचार करने पहुंची. भीड़ से इंदिरा ने कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं.

उन दिनों ये नारा भी गूंजा था कि इंदिरा गांधी के दो हाथ, संजय गांधी-कमलनाथ. कमलनाथ आज एमपी में राहुल के दाहिने हाथ बन गए हैं. कमलनाथ के पास केंद्र में मंत्रीपद संभालने का लंबा अनुभव है, सड़क परिवहन से लेकर शहरी विकास, वाणिज्य और उद्योग जैसे मंत्रालयों को वो चला चुके हैं.

कमलनाथ ने राजनीति में इतनी सफलता इसलिए हासिल की है क्योंकि वो सबको साथ लेकर चल सकते हैं, कार्यकर्ताओं के साथ खड़े होते हैं, और बढ़िया रणनीतिकार हैं. लेकिन कमलनाथ का एक और परिचय है, वो है उद्योगपति होने का.

उनका कारोबार रियल एस्टेट, एविएशन और हॉस्पिटलिटी से लेकर शिक्षा तक फैला है.

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