
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में लगातार डेढ़ साल से अपनी जॉइनिंग (Joining) का इंतज़ार कर रहे चयनित शिक्षकों (Teachers) के सब्र का बांध अब टूट रहा है. कोरोना (Corona Virus) की दूसरी लहर (Second Wave) कमज़ोर पड़ने के बाद प्रदेश में स्कूल खुले तो चयनित शिक्षकों को जल्द जॉइनिंग की आस जगी लेकिन सरकार से अबतक सिवाय वादे के कुछ हासिल नहीं हुआ है जिसके बाद इन चयनित शिक्षकों ने एक बार फिर राजधानी भोपाल का रुख किया है.
जिन शिक्षकों के हाथ मे बच्चों के भविष्य सुधारने का ज़िम्मा होता है. उन्हीं शिक्षकों के भविष्य पर इन दिनों संकट के बादल मंडरा रहे हैं. मध्यप्रदेश में करीब 20 हज़ार 500 चयनित शिक्षक बीते करीब डेढ़ साल से अपनी नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं.
साल 2019 में परीक्षा के बाद 2020 में इनका रिजल्ट भी आ गया लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी इन चयनित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई. कोरोना काल मे लंबे समय तक बंद रहने के बाद मध्यप्रदेश के स्कूल खुले तो चयनित शिक्षकों को जल्द जॉइनिंग की आस जगी लेकिन जॉइनिंग पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो तेज़ बारिश के बीच चयनित शिक्षक भोपाल पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए जॉइनिंग की मांग की.
इन चयनित शिक्षकों के सामने खुद के साथ परिवार के साथ गुज़र बसर करना कितनी बड़ी चुनौती इसकी एक तस्वीर आपको दिखाते हैं. देवास जिले के सोनकच्छ के रहने वाले 37 साल के जितेंद्र सेंधव जब 5 साल के थे तब से पोलियोग्रस्त हैं. 2019 में परीक्षा दी और अगस्त 2019 में नतीजा आने के बाद इसी साल वेरिफिकेशन भी पूरा हो चुका है लेकिन जॉइनिंग नहीं मिली तो घर चलाने के लिए छोटे मोटे कार्यक्रमों में गाने गाकर गुज़र बसर कर रहे हैं.
जितेंद्र सेंधव की मानें तो परिवार में उनके अलावा माता पिता भी हैं जिनके गुजारे के लिए उन्हें कार्यक्रमों में गाना पड़ता है लेकिन बीते डेढ़ साल से कोरोना ने उसपर भी असर डाला है और अब बुकिंग मिलना बेहद कम हो गई है.
कर्ज लेकर घर चलाने को मजबूर
कुछ ऐसी ही कहानी जबलपुर की रहने वाली आराधना झारिया की है जो अपनी जॉइनिंग की मांग को लेकर भोपाल पहुंची. सवाल पूछा तो बात करते करते फूट-फूट कर रोने लगीं. 'आजतक' से बात करते हुए आराधना झारिया ने कहा कि जॉइनिंग कब मिलेगी यह नहीं पता लेकिन जॉइनिंग नहीं मिलने की वजह से परिवार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. पति बीमार रहते हैं और बच्चों की फीस तक के पैसे नहीं रहते इसलिए कर्ज लेकर घर चलाना पड़ रहा है. एक साल से कर्जा देने वालों को टालते आ रहे हैं, इस उम्मीद में कि जल्द जॉइनिंग मिलेगी लेकिन जॉइनिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ ही नहीं रही.
चयनित शिक्षकों की नियुक्ति पर पेंच कहां फंस रहा है?
- साल 2019 में चयनित शिक्षकों के लिए आयोजित परीक्षा के नतीजे घोषित हुए लेकिन फिर नियुक्ति पर पेंच फंस गया.
- इस बीच मध्यप्रदेश में घटा राजनीतिक घटनाक्रम और फिर कोरोना का संकट आड़े आ गया और नियुक्तियों पर संदेह के बादल मंडराने लगे.
- काफी जद्दोजहद के बाद जुलाई 2020 में नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ी और चयनित शिक्षकों के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन शुरू हुआ लेकिन महज़ तीन दिन बाद ही इसे भी रोक दिया गया.
- चयनित शिक्षकों का आरोप है कि उस समय कोरोना की वजह से सार्वजनिक परिवहन पर रोक की वजह बताई गई.
- वेरिफिकेशन दोबारा शुरू हुआ तो कोरोना की दूसरी लहर ने ग्रहण लगा दिया.
- कोरोना की दूसरी लहर कमज़ोर पड़ने के बाद अब कहीं जाकर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हो पाई है.
हालांकि सरकार अभी भी चयनित शिक्षकों को भरोसा दिला रही है कि शासन ने उनकी जॉइनिंग की प्रक्रिया को लगभग पूरा कर लिया है लेकिन कुछ मामलों में कोर्ट की कार्रवाई के चलते फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है. कोर्ट में लंबित प्रकरण खत्म होते ही सभी चयनित शिक्षकों को जॉइनिंग दे दी जाएगी.
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया तो पूरा का पूरा रिजल्ट ही प्रभावित हो जाएगा. ऐसे में समस्या और बढ़ जाएगी इसलिए बारीकी से कोर्ट में पक्ष रखा जा रहा है जिसके पूरा होते ही जॉइनिंग लेटर दे दिया जाएगा.