मध्य प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को एक अजीबोगरीब 'तंग करने वाला मुकदमेबाजी निवारण' विधेयक पास कर विधानसभा भेज दिया है. विधानसभा की स्वीकृति मिलते ही ये विधेयक अमल में आ जाएगा.
इस विधेयक के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी को बिना किसी आधार के बार-बार परेशान करने के लिए न्यायालय से वाद लगाता है, तो हाई कोर्ट डिसअलाऊ करेगा. इसके लिए एडवोकेट जनरल की राय भी ली जाएगी. हालांकि सरकार ने सारे नियम कानून का खुलासा नहीं किया है.
दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि सरकार मुख्यमंत्री और मंत्रियों को बचाने के लिए विधेयक ला रही है और इससे आरटीआई कार्यकर्ताओं का भी हनन होगा. कांग्रेस इस विधेयक का विरोध करेगी. सरकार का कहना है कि ये विधेयक किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि हर आम आदमी के लिए है.
मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मंगलवार को मध्य प्रदेश की कैबिनेट द्वारा 'मध्य प्रदेश तंग करने वाला मुकदमे बाजी निवारण विधेयक- 2015 को कैबिनेट ने विधानसभा के लिए भेजा है.'
उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के मुताबिक ऐसे व्यक्ति जो लगातार किसी व्यक्ति के बारे में अनावश्यक रूप से वाद लगाते है, उसको अगर हाईकोर्ट संज्ञान में लेता है, तो ऐसे व्यक्ति को हाईकोर्ट डिसअलाऊ करेगा, राज्य सरकार नहीं.
मिश्रा के मुताबिक राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. इसमें हाई कोर्ट एडवोकेट जनरल की राय लेंगे.
कांग्रेस के मध्य प्रदेश उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल ने कहा कि सरकार मंत्रियों और मुख्यमंत्री को बचाने के लिए ये विधेयक ले कर आई है, जिसका कोई महत्व नहीं है. इससे आरटीआई कार्यकर्ताओं का हनन होगा, वहीं आम जनता के अधिकारों का भी हनन होगा, ऐसे विधेयक को लेकर सरकार बच नहीं पाएगी.