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MP: कमलनाथ सरकार में थे मंत्री, शिवराज ने उन्हें ही दे दिया कांग्रेस सरकार की जांच का जिम्मा

शिवराज सरकार ने अब कमलनाथ सरकार के आखिरी छह महीनों के कामकाज की समीक्षा करने का फैसला किया है. ऐसे में शिवराज ने जांच में मंत्री तुलसीराम सिवालट को लगाया है, जो खुद ही कमलनाथ सरकार में मंत्री थे और सरकार के तमाम फैसलों में शामिल थे.

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तुलसीराम सिलावट और कमलनाथ
तुलसीराम सिलावट और कमलनाथ

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  • कमलनाथ सरकार के छह महीनों के कामकाज की जांच
  • कांग्रेस सरकार के सिलावट सहित पांच मंत्री अब BJP में

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने कमलाथ सरकार के दौरान लिए फैसलों की जांच करने का फैसला किया है. शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए बकायदा एक समिति- ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया है, जिसमें तीन मंत्री शामिल हैं. शिवराज सरकार ने जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट को भी समिति में जगह दी गई है, जो खुद कमलनाथ सरकार में मंत्री थे और सरकार के तमाम फैसलों में शामिल थे.

एमपी के गृह और स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और कृषि मंत्री कमल पटेल को कमलनाथ सरकार के कामकाज की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह समिति पुराने फैसलों की समीक्षा कर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी. सिलावट शिवराज सरकार से पहले कमलनाथ कैबिनेट के अहम हिस्सा थे, उनके पास स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी थी.

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इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले 22 बागी विधायकों में पांच कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं, जो कमलनाथ सरकार के दौरान लिए फैसलों में शामिल भी रहे हैं. ऐसे में तुलसीराम सिलावट कैसे जिन फैसलों में भागीदार रहे हैं, उसी की अब वो जांच करेंगे.

कमलनाथ सरकार के आखिरी 6 महीने के दौरान हुए काम की जांच के लिए शिवराज सरकार ने तीन मंत्रियों की कमेटी गठित की है. कमेटी इस बात की भी जांच करेगी कि आखिरी छह महीनों में लिए गए फैसलों में कितना भ्रष्टाचार और गड़बड़ी हुई है. गड़बड़ी वाले मामलों में तथ्य मिलने पर संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है.

इसके अलावा जनविरोधी फैसलों की भी समीक्षा की जाएगी. जरूरत पड़ी तो सरकार पुरानी सरकार के फैसलों को रद्द या बदल भी सकती है. प्रदेश सरकार का फोकस पुरानी सरकार के आखिरी समय में लिए गए फैसलों पर है. शिवराज सरकार की नज़र कमलनाथ के शासन में हुए तबादलों राजनीतिक नियुक्ति, किसान कर्ज माफी पर है. इसमें सरकार को गड़बड़ी होने का अंदेशा है. अब उन तमाम फैसलों की जांच कर शिवराज सरकार पुरानी कमलनाथ सरकार को घेरने की तैयारी में है.

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दरअसल शिवराज सरकार की कोशिश है कि आगामी उपचुनाव से पहले गड़बड़ियों की जांच कर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया जा सके और इसके लिए अभी से मिशन इन्वेस्टिगेशन पर प्रदेश सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस हर तरह की समीक्षा व जांच का स्वागत करती है लेकिन अभी समय कोरोना से निपटने का है. कोरोना से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया जा रहा है.

सलूजा ने इस समिति के सदस्यों पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इसमें से एक सदस्य पर पूर्व में ई-टेंडर से लेकर, स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटालों में उनकी भूमिका को लेकर जांच चल रही है. वही एक सदस्य पिछली सरकार में खुद मंत्री थे और कोरोना महामारी के दौरान प्रदेशवासियों को छोड़कर बेंगलुरु के फाइव स्टार रिजॉर्ट में चले गए थे, वो क्या समीक्षा करेंगे

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