मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के किसानों का मक्के के समर्थन मूल्य की मांग को लेकर शुरू किया गया ऑनलाइन सत्याग्रह अब जन आंदोलन बनता जा रहा है. युवा किसानों के द्वारा दो सप्ताह पहले शुरू की गई इस मुहिम से देश भर के किसान नेता जुड़ते जा रहे हैं. गुरुवार को सिवनी के मक्का किसान अपनी मांग के लिए एक दिन का उपवास करेंगे और अपने-अपने घर के बाहर अनशन करेंगे. इसके अलावा किसान अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को एक टोकरी मक्का भी दान कर उनका ध्यान आकर्षित करेंगे.
मक्का किसानों के ऑनलाइन सत्याग्रह शुरू करने वाले सिवनी जिले के युवा किसान सतीश राय ने aajtak.in से बताया कि मध्य प्रदेश में मक्का उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत खराब है. मक्का की खेती करने वाला किसान को उसकी फसल का उचित दाम तो दूर की बात है, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. जिससे वो दुखी और निराश होकर सत्याग्रह करने मजबूर हुए हैं.
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सतीश राय कहते हैं कि कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस के मुताबिक एक क्विंटल मक्का पैदा करने की लागत 1,213 रुपये आती है. सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,850 रुपये तय किया है. इसके बावजूद मध्य प्रदेश में मक्का 900-1000 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है. इस तरह से मक्का किसानों को प्रति क्विंटल 800 से 900 रुपये का घाटा हो रहा है. ऐसे में हम सरकार से मक्का के मूल्य को बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि एमएसपी पर खरीदारी करने की मांग उठा रहे हैं.
मक्का किसानों के लिए अन्न त्याग कैंपेन
राय ने बताया कि पिछले 15 दिनों से सिवनी के मक्का किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है. ऐसे में सिवनी के किसानों ने तय किया है कि गुरुवार को उपवास रखेंगे और साथ में अनशन करेंगे. सतीश राय कहते हैं कि 'अन्नदाता के लिए अन्न त्याग' के नाम से शुरू हो रहे इस कैंपेन में लोग एक दिन का उपवास रखते हुए अपने घर के बाहर ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अनशन पर बैठेंगे. राय ने लोगों से अपील की है कि वह मक्का किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए 11 जून को एक दिन के लिए अन्न त्याग कर अनशन को अपना समर्थन दें.
मक्के को दामों में क्यों आई गिरावट
सतीश राय ने बताया कि दिसंबर और जनवरी तक मक्के के दाम 2100-2200 प्रति क्विंटल तक थे, लेकिन केंद्र सरकार ने रूस, यूक्रेन और बर्मा से मक्का आयात शुरू कर दिया. विदेश से आयात से पहले देश में जो मक्का 2200 तक बिक रहा था वो गिरकर 900 से 1000 रुपये क्विंटल पर आ गया. हालांकि, विदेश से भारत आने वाले मक्के की कीमत 1800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच रही है, लेकिन मध्य प्रदेश के किसानों से हजार रुपये से कम कीमत पर खरीदा जा रहा है.
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मध्य प्रदेश के एक जिले सिवनी का उदाहरण लें, जहां से आंदोलन चल रहा है, वहां लगभग 4 लाख 35 हजार एकड़ में मक्का बोया गया था. एमएसपी ना मिलने से प्रति एकड़ किसानों को 16 हजार के करीब घाटा हो रहा है. इस तरह से सिवनी जिले के किसानों को 600 करोड़ के करीब का घाटा सहना पढ़ रहा है. ऐसे ही छिंदवाड़ा में भी मक्का किसान परेशान हैं.