अपने नौकर के यौन शोषण के आरोप में 22 जुलाई तक की न्यायिक हिरासत में जेल में रह रहे पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की जमानत अर्जी को गुरुवार को एक स्थानीय अदालत ने खारिज कर दिया है.
भोपाल के नौवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव कलगांवकर ने राघवजी के वकील द्वारा दायर जमानत आवेदन को गुरुवार यह कहकर खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ गंभीर प्रकृति के आरोप हैं और चूंकि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय तक रह चुके हैं, इसलिए वह अपने खिलाफ सबूतों को नष्ट करने का प्रयास कर सकते हैं.
न्यायाधीश ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि प्रकरण के इस पड़ाव पर राघवजी की जमानत मंजूर करने से समाज में यह गलत संदेश भी जाएगा कि कानून सबके लिए एक जैसा नहीं है.
उल्लेखनीय है कि गत पांच जुलाई की सुबह राघवजी का नौकर राजकुमार दांगी अपने सहयोगी घनश्याम कुशवाह के शपथ पत्र के साथ एक शिकायती पत्र लेकर हबीबगंज पुलिस थाने पहुंचा था, जिसमें तत्कालीन वित्त मंत्री राघवजी पर उसने यौन शोषण का आरोप लगाया था.
यह मामला सामने आने के बाद पांच जुलाई को ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राघवजी से मंत्री पद से इस्तीफा मांग लिया और मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल रामनरेश यादव ने उसे मंजूर भी कर लिया. बीजेपी ने राघवजी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया.
नौ जुलाई को पुलिस ने एक स्थानीय फ्लैट का ताला तोड़कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया, जहां वह छिपे हुए थे. पुलिस द्वारा भोपाल के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत में पेश किए जाने के बाद उन्हें वहां से 22 जुलाई तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया था.
राघवजी को लेकर इस समूचे घटनाक्रम ने प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को असहज स्थिति में ला खड़ा किया है, क्योंकि चार माह बाद नवंबर में राज्य में विधानसभा के आम चुनाव होना हैं.